Jalore मुख्यमंत्री ने पहना टाट का कोट, उद्योग को मिलेगी पहचान
जालोर न्यूज़ डेस्क, देशभर में खास पहचान बनाने वाले लेटा के खेसला उद्योग (खादी से बना विशेष कपड़ा) को आधुनिकता की दौड़ में नई ऊंचाइयां प्रदान करने की शुरुआत हुई है। करीब 8 दशक पूर्व हुई शुरुआत के बाद पिछले एक दशक में यह उद्योग बंद होने के कगार पर था। ऐसे में यहां के हुनरमंदों को फिर से संबल प्रदान करने की कड़ी में यहां से बने सूती धागों से बने कपड़े से कोटी और कोट बनाने की शुरुआत की गई है। प्रारंभिक शुरुआत के तौर पर हालही में मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने इस कपड़े से कोटी बनवाई, जिसका उपयोग वे खुद कर रहे हैं। उसके बाद उन्होंने इसी कपड़े से बनी कोटी (कोट) मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को भी सुपुर्द की, उन्होंने भी हैंडलूम सूती धागों से बने कपड़े से बनी इस कोटी को पहना और तारीफ की। साथ ही इस उद्योग को हर संभव सहयोग का आश्वासन भी दिया है। ऐसे में लुप्त होने के कगार पर पहुंच चुके इस उद्योग के लिए यह नई शुरुआत मानी जा सकती है।
मालाराम और ओटाराम ने की थी शुरुआत
करीब 8 दशक पूर्व मालाराम और ओटाराम ने इस हुनर के काम की शुरुआत की। धीरे धीरे काम बढ़ा और सरकारी स्तर पर जिला मुख्यालय पर राजस्थान राज्य बुनकर संघ और स्टेट हैंडलूम की स्थापना हुई, जहां पर लेटा का तैयार माल इस काम से जुड़े हुनरमंद बेचते थे, लेकिन अब ये दोनों ही संघ बंद हो चुके। ये दोनों संगठन बुनकरों को सूती धागा देते थे और श्रमिक खेसले बनाकर इन्हें सुपुर्द करते थे, जिसका मेहनताना इन्हें इन दोनों संघों से मिलता था। वर्तमान में बुनकर तैयार माल को फेरी लगाकर बेचते हैं।
इनका कहना
मशीनीकरण ने लेटा के खेसला उद्योग को भारी नुकसान पहुंचाया, सरकारी स्तर पर भी ज्यादा सहयोग इस उद्योग के लिए नहीं मिला। अब लेटा में तैयार हुए कपड़े से ही मुख्यमंत्री की कोटी तैयार हुई और उन्होंने इसे पहना भी है। इस उद्योग में इसी तरह का नवाचार कर हथकरघा उद्योग को आधुनिकता की दौड़ में जिंदा किया जा सकता है। खेसला उद्योग को संबल प्रदान करने की कड़ी में पहल की गई है। प्रयास है कि लेटा में कपड़ा उसी माप और अनुपात में तैयार हो जाए, जिससे कोटी, जेकेट और अन्य प्रोडक्ट बन सके। खेसले से जुड़े उद्योग को स्थापित करने की कड़ी में आगामी समय में सकारात्मक परिणाम मिलेंगे।