Rajasthan Breaking News: जालोर में दलित छात्र की मौत पर सामने आया नया सच, स्कूली छात्रों ने बताया बच्चे की मौत झगड़े के कारण हुई
जालोर न्यूज डेस्क। राजस्थान की इस वक्त की बड़ी खबर में आपको बता दें कि जालोर में 9 साल के दलित छात्र की मौत का मामला तूल पकड़ता जा रहा है. मामले पर हो रही राजनीति के बीच एक नया और बड़ा मोड़ सामने आया है।जालोर के सरस्वती विद्या मंदिर उच्च प्राथमिक विद्यालय स्कूल के स्टॉफ और बच्चों का कहना है कि स्कूल में पानी का कोई मटका है ही नहीं. वहीं अबतक इस मामले को जातिगत रंग से देखा जा रहा है। मृतक बच्चे के घरवाले यह आरोप लगा रहे हैं कि स्कूल टीचर छैल सिंह ने दलित बच्चे को इसलिए मारा क्योंकि उसने मटके को छू लिया था और बच्चे की बेरहमी से पिटाई की गई। जिससे मासूम बच्चे की मौत हो गई।
इसी मामले की जाँच करने के लिए मीडिया की टीम सच की तलाश में सुराणा गांव के उसी स्कूल में पहुंची थी। जहां पर स्कूल के स्टॉफ और छात्र-छात्राओं से दलित बच्चे इंद्र कुमार मेघवाल से साथ हुई घटना के बारे में जानकारी ली है। जिसमे नया सच सामने आया है। इस स्कूल में तीसरी क्लास में इंद्र कुमार के साथ पढ़ने वाले छात्र राजेश ने बताया कि मेरी और इंद्र कुमार की आपस में लड़ाई हो गई थी, जिस पर छैल सिंह सर ने हम दोनों के कान के नीचे चांटा मारा था और उस दिन के बाद से मैं स्कूल नहीं आया। जब छात्र से मटके को लेकर सवाल किया गया तो उसने कहा स्कूल के सभी बच्चे पानी की टंकी से ही पानी पीते हैं। वहीं, स्कूल स्टॉफ का कहना है कि उस दिन क्या हुआ हमें नहीं मालूम लेकिन यहां कोई भेदभाव नहीं है। सारा स्टॉफ और बच्चे टांके से ही पानी पीते हैं, मटका वहाँ नहीं है।
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सरस्वती विद्या मंदिर स्कूल के शिक्षकों, बच्चों, स्कूली बच्चों के अभिभावकों और ग्रामीणों से बातचीत पर पता चला कि स्कूल में कोई मटकी ही नहीं है। सभी बच्चे, स्टाफ स्कूल में लगी एक कॉमन पानी की टंकी से पानी पीते हैं। स्कूल प्रशासन दबी जुबान में यह बात स्वीकारते नजर आया कि बच्चों की आपसी मारपीट के बाद शिक्षक छैलसिंह ने दोनों बच्चों को थप्पड़ मार दिया था। ग्रामीणों और स्कूल स्टाफ का कहना है कि गांव के लोग और स्कूल के स्टाफ किसी तरह से जातिगत भेदभाव नहीं करते, स्कूल में आधे से ज्यादा एससी एसटी वर्ग के बच्चे हैं और आधे शिक्षक भी इसी वर्ग से हैं। दो बच्चों के झगड़ने पर टीचर ने दोनो बच्चों को एक एक थप्पड़ लगाकर शांत करवाया था।
ग्रामीणों का कहना है कि बच्चे इंद्र मेघवाल के कान में बीमारी थी। इस वजह से बच्चे की मौत हुई है। मौत का पूरे गांव को दुख है, लेकिन मटकी और छुआछूत के नाम पर जालोर को बदनाम किया जा रहा है। इतना ही नहीं गांव के 36 कौम के लोग भी शिक्षक के समर्थन में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। गांव के ग्रामीणों का आरोप है कि मटकी और छुआछूत के भेदभाव को को लेकर कहीं जाने वाली बातें निराधार है और गांव को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि शिक्षक ने दो बच्चों की आपसी कहासुनी कहासुनी पर चांटा मारा था, यह बात शिक्षक खुद कबूल कर रहा है लेकिन छुआछूत और भेदभाव को लेकर मारपीट की बात बिल्कुल निराधार है।