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Jaisalmer विकास के नाम पर जलाए जा रहे हैं पेड़, पर्यावरण प्रेमी नाराज

 
Jaisalmer विकास के नाम पर जलाए जा रहे हैं पेड़, पर्यावरण प्रेमी नाराज
जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, जैसलमेर   जिले में इन दिनों कई सोलर कंपनियां ग्रामीण इलाकों में अपने प्रोजेक्ट लगा रही हैं. एक तरफ ग्रामीण इलाकों में हो रहे हरित ऊर्जा से हर कोई खुश है तो वहीं दूसरी तरफ पर्यावरण प्रेमी इससे काफी नाराज हैं. वजह है निजी कंपनियों द्वारा राज्य वृक्ष खेजड़ी को उखाड़ने का काम। दरअसल, देवीकोट क्षेत्र में सैकड़ों खेजड़ी के पेड़ काटे जा रहे हैं. और उन्हें जिंदा जलाया जा रहा है. जिससे पर्यावरण प्रेमी काफी नाराज हैं. जबकि इस पेड़ को काटने पर प्रतिबंध है. अगर कोई काट भी ले तो उसे उखाड़कर दूसरी जगह शिफ्ट करने का नियम है। लेकिन निजी कंपनियां इस नियम का पालन नहीं कर रही हैं. पर्यावरण प्रेमी सुमेर सिंह ने कहा कि निजी कंपनियां पेड़ों को शिफ्ट करने के बजाय उन्हें काटकर जला रही हैं. अब दिनदहाड़े पेड़ों को जिंदा जलाया जा रहा है। ताकि पेड़ के अस्तित्व का कोई सबूत न बचे.

सुमेर सिंह ने कहा कि हमने इसकी शिकायत प्रशासन और वन विभाग से भी की है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है. निजी कंपनियां बिना किसी डर के लगातार हरे पेड़ों को काट रही हैं। इसके अलावा राजस्थान के राज्य वृक्ष खेजड़ी को भी काटने और जलाने का काम किया जा रहा है. इस प्रकार जंगल नष्ट हो जायेंगे। इसे लेकर सभी पर्यावरण प्रेमियों में काफी आक्रोश है. सुमेर सिंह ने प्रशासन और वन विभाग से कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. सुमेर सिंह ने बताया कि 17वीं शताब्दी में रेगिस्तान का कल्पवृक्ष माने जाने वाले खेजड़ी वृक्ष को बचाने के लिए सैकड़ों लोगों ने अपने प्राणों की आहुति दी थी.

जैसलमेर जिले में बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जा उत्पादन में लगी कंपनियों द्वारा राज्य वृक्ष खेजड़ी सहित हरे-भरे पेड़ों की बलि ली जा रही है। इससे पर्यावरण प्रेमियों को गहरा सदमा लगा है और जिम्मेदारों द्वारा अब तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए जाने से वे काफी नाराज हैं। एक तरफ सरकार पौधारोपण पर हर साल करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी तरफ कंपनियों द्वारा पुराने पेड़ों को जड़ समेत उखाड़कर जलाने का काम किया जा रहा है. जिले के फतेहगढ़ क्षेत्र में निजी कंपनियां बड़ी सौर ऊर्जा परियोजनाएं लगा रही हैं। इसके लिए उनके ठेकेदार और कर्मचारी क्षेत्र में हरे-भरे पेड़ों को काटने और उनमें आग लगाने से भी नहीं हिचक रहे हैं. ग्रामीण इन पेड़ों को काटने का विरोध भी कर रहे हैं लेकिन उनकी कहीं सुनवाई नहीं हो रही है. पर्यावरण प्रेमियों ने इस संबंध में वन विभाग, जिला व पुलिस प्रशासन आदि को पत्र भी लिखा है.