Kargil Vijay Diwas Special: मोहनगढ़ का वो परिवार जिसमें 3 पीढ़ियों ने देशसेवा को चुना, राजेंद्र सिंह के फौलादी जज्बे को सलाम
थार की रेत में जन्मा, देशभक्ति की ज्वाला से फौलाद बना एक सपूत, नायक राजेंद्र सिंह। वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर के बटोटे में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए मातृभूमि के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाला यह सपूत आज भले ही हमारे बीच न हो, लेकिन उसके सपनों की गूंज इन दिनों मोहनगढ़ की हवाओं में गूंज रही है। राजेंद्र सिंह जैसे सैनिक थार की तपती रेत में पले-बढ़े हैं और देश के लिए खुद को जलाने को तैयार हैं। उनके बलिदान की गूंज देश के कोने-कोने में सुनाई देती है। शहीद के छोटे भाई समुंद्र सिंह भाटी की आँखों में गर्व और नमी है। वे कहते हैं, भाई की अंतिम इच्छा यही थी कि आतंकवादियों को उनके अंजाम तक पहुँचाया जाए।
सैन्य परंपरा को आगे बढ़ा रहा परिवार
मोहनगढ़ का यह परिवार कोई साधारण परिवार नहीं है। इस परिवार की हर पीढ़ी ने देश सेवा को अपना धर्म माना। समुंद्र बताते हैं कि उनके पिता सांवल सिंह 6 राजपूत बटालियन में हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। चाचा मनोहर सिंह भी सेना में रहे और 15 जाट रेजिमेंट से 2019 में नायक के पद से सेवानिवृत्त हुए। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए राजेंद्र सिंह 15वीं राजपूत बटालियन में भर्ती हुए और 28 सितंबर 2019 को आतंकवादियों से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
अवसर मिला तो परिवार देश के लिए प्राण न्यौछावर करने को तैयार
शहीद का परिवार उस पल को नहीं भूला है जब सेना ने राजेंद्र सिंह के शहीद होने की सूचना दी थी। समुद्र कहते हैं कि अगर उन्हें मौका मिला तो वे देश के लिए फिर से उठ खड़े होंगे। उनका भाई अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन जोश आज भी उनकी रगों में दौड़ता है। पिछले कुछ दिनों में पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों के खिलाफ भारतीय सेना की सटीक और सख्त कार्रवाई ने शहीद के परिवार को एक नई ताकत दी है। उन्हें लगता है कि देश ने उनके बेटे, भाई और नायक के अधूरे सपने को पूरा कर दिया है।
