Jaisalmer मच्छर के काटने और मौसम की दोहरी मार से बीमार पड़ रहे लोग
दूसरी ओर जवाहिर चिकित्सालय में बहिरंग मरीजों को देखने की व्यवस्था यानी ओपीडी का स्थान बदल कर ट्रोमा सेंटर के हॉल में कर दिया गया है। यहां पहुंचने वाले मरीजों को एकबारगी तो नई व्यवस्था के बारे में पता ही नहीं चलता। पीएमओ डॉ. रविन्द्र सांखला ने बताया कि चिकित्सकों की कमी को देखते हुए और मरीजों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा प्रदान करने के लिए यह नवाचार किया गया है। जब उनसे पूछा गया कि इस नई व्यवस्था से ट्रोमा सेंटर की व्यवस्थाओं पर विपरीत असर पड़ने की बात कही जा रही है क्योंकि वहां आपातकालीन अवस्था में आने वाले मरीजों के उपचार में बाहरी लोगों की भीड़ से कई बार बाधा उत्पन्न हो सकती है, इस पर डॉ. सांखला ने कहा कि बहुत कम मौके ही ऐसे आते हैं जब ट्रोमा सेंटर में सड़क हादसों जैसे आपातकालीन मौके होते हैं। बाकी समय में चिकित्सक यहां बैठ कर आसानी से मरीजों को देखकर उनका जरूरी उपचार कर सकते हैं।
डॉ. सांखला ने कहा कि यह एक प्रयोग किया गया है। यह सफल रहने पर इसे लगातार जारी रखा जाएगा और ज्यादा दिक्कत आने पर ओपीडी की पुरानी व्यवस्था लागू की जा सकती है। उन्होंने विश्वास जताया कि वैसे यह व्यवस्था आमजन के हित में है। उन्हें यहां हर समय चिकित्सक की सेवा मिल सकेगी। पीएमओ ने बताया कि वर्तमान में मौसमी बीमारियों के चलते मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है। इस बीच जैसलमेर में सर्दी का असर शुरू होते ही मौसमी बीमारियों ने भी लोगों को चपेट में लेना आरंभ कर दिया है। बड़ी संख्या में लोग सर्दी-जुकाम, बुखार आदि से पीड़ित हो रहे हैं। दिवाली से पहले और इस दौरान यकायक मौसम में तब्दीली आई है। दिन-रात के तापमान में गिरावट के कारण हल्की ठंडक ने दस्तक दे दी है। जबकि लोग अभी तक गर्मी वाले मूड में दिखाई दे रहे हैं और बहुत कम जनों ने ही गरम व ऊनी कपड़े निकाले हैं। यही कारण है कि सर्दी-जुकाम की जकड़ में आने वालों की तादाद में बढ़ोतरी हुई है। जिला अस्पताल सहित निजी चिकित्सकों के पास रोजाना करीब डेढ़ से दो हजार लोग जांच व उपचार के लिए पहुंच रहे हैं। चिकित्सकों के पास मरीजों की कतारें लग रही हैं।