Jaisalmer बडोड़ा गांव के युवा 50 लाख रुपए से बदल रहे हैं बिहारीसर तालाब की सूरत
जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, जैसलमेर जिले के बडोड़ा गांव स्थित बिहारीसर तालाब को गहरा करने और उसकी सफाई का काम ग्रामीण खुद मिलकर कर रहे हैं। एक व्हाट्स एप ग्रुप में मिली प्रेरणा से सभी ग्रामीण जुड़े और करीब 50 लाख खर्च कर इस तालाब को दुबारा जीवित करने का काम पिछले एक महीने से जारी है। गांव वालों की ही मशीनरी और उनके ही द्वारा ये काम सबके लिए प्रेरणा बनता जा रहा है। ग्रामीण जीवन पाल सिंह ने बताया- बिहारीसर तालाब जिले का तीसरा सबसे बड़ा तालाब है। प्राचीन समय में आसपास के 15 से अधिक गांवों की प्यास बुझाता था। पिछले कुछ सालों से गांवों में तो सरकारी पाइप लाइन पहुंच गई लेकिन पशुओं के लिए पानी का स्रोत यही तालाब था। तालाब के कैचमेंट एरिया में नहरी पाइपलाइन का वाल्व होने से नहर का गंदा पानी इस तालाब में मिक्स होने लगा।
कुछ ही सालों में तालाब का पानी इतना गंदा हो गया कि पशु भी पानी नहीं पी सकते थे। 15 सालों में तालाब कभी खाली ही नहीं हुआ। इस बार भीषण गर्मी व कम बारिश के चलते तालाब में पानी कम रह गया तो गांव वालों ने इसे खाली करके साफ करने की योजना बनाई। ठाकुर कंवराज सिंह की देखरेख में तालाब का काम हो रहा है।
व्हाट्स एप ग्रुप में मिली प्रेरणा
ग्रामीण जीवन पाल सिंह ने बताया कि हमने एक व्हाट्स एप ग्रुप 'महादेव ग्रुप-1001 बनाया है। करीब 2 महीने पहले तालाब को लेकर ग्रुप में डिस्कस हुआ और सभी ने मिलकर इसको साफ करने और गहरा करने का निर्णय लिया। ग्रुप के सदस्य समुंदर सिंह, जीतपाल सिंह, विक्रम सिंह तथा कालू शेरा द्वारा यह तय किया गया की ट्रैक्टर चलित पंखियों की सहायता से तालाब का गंदा पानी बाहर निकाला जाए। बस 1 महीने पहले सभी इसी काम में जुट गए। कोई जेसीबी लाया तो कोई हिटाची मशीन। कोई अपना ट्रेक्टर लाया तो कोई सेवा करने शामिल हुआ। इस तरह सभी एक साथ जुट गए और तालाब की सूरत बदलने का काम शुरू किया जो लगातार जारी है। इस तालाब से सटी बडोड़ा गांव और असायच की ओरण भी है।
15 साल बाद बदलेगी तालाब की तस्वीर
सफाई अभियान से जुड़े सदस्यों का कहना है कि तालाब की सफाई में भारी मशीनों का प्रयोग किया गया है। जिसमें हिटाची, जेसीबी, डंपर और ट्रैक्टरों सहित अनेक स्वयंसेवक लगातार 24 घंटे अपनी सेवाएं दे रहे हैं। एक अनुमान के अनुसार ग्रामीणों के सहयोग से 50 लाख रुपए से भी ज्यादा का काम अब तक हो चुका है। बडोड़ा गांव के दलवीर सिंह ने बताया कि गांव के करीब सभी लोग इस काम में जुड़े हैं। सभी बारी बारी से अपना काम करते हैं। गांव के ही लोगों की 2 जेसीबी, 2 हिटाची, 5 डंपर और करीब 25 ट्रेक्टर के साथ 50 से ज्यादा युवा बुजुर्ग आदि इस काम में 1 महीने से लगे हैं। सफाई और गहराई का काम जारी है। ताकि बरसात में इस तालाब में पानी ज्यादा मात्रा में भर जाए तो सबके काम आ जाए।
तालाब का इतिहास
बिहारीदासोत भाटी पुस्तक व राव विक्रम सिंह के अनुसार बडोड़ा गांव की जागीर मिलने पर जैसलमेर राजपरिवार के राजवी ठिकानेदार बिहारीदास भाटी ने 500 रुपए मैं इस तालाब की खुदाई करवाई। 360 वर्ष पूर्व विक्रम संवत 1721 में राजश्री बिहारीदास ने 'बिहारीसर' तालाब की प्रतिष्ठा करवाई थी। जैसलमेर के ऐतिहासिक जल स्रोतों में बिहारीसर एक प्रमुख जल स्रोत है जो पीढ़ियों की प्यास बुझाता रहा है। इसकी भरण क्षमता अधिक होने से एक बार पूरा भर जाने पर साल भर इसका पानी समाप्त नहीं होता है।
