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Jaisalmer सुप्रीम कोर्ट ने गोवर्द्धनदास कल्ला आवासीय कॉलोनी के मामले में एसएलपी की निरस्त

 
Jaisalmer सुप्रीम कोर्ट ने गोवर्द्धनदास कल्ला आवासीय कॉलोनी के मामले में एसएलपी की निरस्त
जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, जैसलमेर नगर परिषद द्वारा करीब दस महीने पहले 2 अप्रैल को गोवर्द्धनदास कल्ला आवासीय कॉलोनी लॉन्च की गई थी। इसके बाद जैसलमेर के अधिवक्ता धर्मेंद्रसिंह मोहता द्वारा इनकम कैटेगरी व भूखंड साइज को लेकर जोधपुर हाइकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसके बाद से मामला न्यायालय में विचाराधीन ही चल रहा था। पिछले दिनों नगर परिषद द्वारा जोधपुर हाईकोर्ट में अपना जवाब पेश कर दिया गया है। इसके बाद नगर परिषद द्वारा कल्ला कॉलोनी में भूखंड आवंटन की प्रक्रिया को तेज कर दिया गया था।

नगर परिषद द्वारा गत 23 फरवरी को लॉटरी की तारीख भी तय कर दी गई थी। लेकिन उसके बाद सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होने के चलते लॉटरी की प्रक्रिया को स्थगित कर दिया गया। इसी बीच परिवादी मोहता द्वारा एक बार फिर न्यायालय में लॉटरी की प्रक्रिया पर स्टे लगाने के लिए याचिका दायर की गई। लेकिन उसमें भी कोर्ट द्वारा स्टे नहीं लगाया गया है। इसके बाद परिवादी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की गई। जिस पर नगर परिषद द्वारा अधिवक्ता के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर किया गया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसएलपी को निरस्त कर दिया गया है।

हाईकोट द्वारा स्टे नहीं देने के बाद परिवादी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई। नगर परिषद इस आवासीय कॉलोनी में जल्द से जल्द भूखंड आवंटित करने के मूड में थी। जिसके बाद न्यायालय में मामला विचाराधीन होने के चलते आवंटन की प्रक्रिया न्यायालय ने अपने अधीन कर ली थी। जिसके बाद नगर परिषद द्वारा कोर्ट में अपना जवाब प्रस्तुत करने के बाद लीगल एडवाइज लेकर लॉटरी की प्रक्रिया तेज कर दी। इसके बाद परिवादी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई। लेकिन नगर परिषद द्वारा भी कैविएट लगाई गई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एसएलपी को निरस्त कर दिया है।

गोवर्द्धनदास कल्ला आवासीय कॉलोनी में नगर परिषद द्वारा 1343 भूखंडों का आवंटन लॉटरी के माध्यम से किया जाना है। इन 1343 भूखंडों के लिए नगर परिषद को अलग-अलग कैटेगरी में 17 हजार 925 आवेदन प्राप्त हुए है। ऐसे में पिछले करीब दस महीने से यह 17 हजार 925 आवेदक लॉटरी होने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन न्यायालय में मामला विचाराधीन होने तथा उसके बाद नगर परिषद द्वारा जवाब पेश नहीं करने के कारण यह मामला लंबित पड़ा था। इसी बीच सॉफ्टवेयर अपडेट नहीं होने के चलते आवंटन की प्रक्रिया नहीं हो पाई है। अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी एसएलपी निरस्त करने के बाद नगर परिषद के सामने लॉटरी की प्रक्रिया को हरी झंडी मिल गई है।