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Jaisalmer 10 करोड़ रुपए धोरों से पहाड़ों तक जाएंगे, धार्मिक पर्यटन बढ़ रहा

 
Jaisalmer 10 करोड़ रुपए धोरों से पहाड़ों तक जाएंगे, धार्मिक पर्यटन बढ़ रहा

जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, जैसेलमेर राजस्थान ही नहीं भारत में पर्यटननगरी के तौर पर पहचान रखने वाले जैसलमेर के बाशिंदे गर्मी की छुट्टियों में अपने परिवार और मित्रों के साथ घूमने-फिरने के लिए निकलने लगे हैं। स्कूलों की छुट्टियां होने का दौर अभी चल रहा है, सरकारी तौर पर 17 मई से अवकाश होंगे। इसके बाद पर्यटनप्रेमी जैसलमेरी बड़ी तादाद में देश के विभिन्न अंचलों विशेषकर देश के पहाड़ी क्षेत्रों में जाने के लिए तैयारियां शुरू कर चुके हैं। कइयों ने टिकटों से लेकर रहने-घूमने की प्री-बुकिंग्स करवा ली है तो अनेक जने ट्रेवल एजेंट्स आदि से इस संबंध में जरूरी जानकारियां जुटा रहे हैं। दरअसल इस साल रिकॉर्ड तोड़ गर्मी पड़ रही है। ऐसे में हर बार की भांति जैसलमेर के लोगों को तपिश से राहत पाने के लिए सबसे ज्यादा पहाड़ी क्षेत्रों मुफीद मालूम हो रहे हैं। घूमने जाने वाले लोगों में से अधिकांश लोग कश्मीर, हिमाचल प्रदेश या पूर्वोत्तर के सिक्किम में गंगटोक व उसके आसपास, दार्जिलिंग, लेह-लद्दाख आदि का रुख करने की तैयारी में हैं। वहीं दक्षिण में केरल, ऊटी, कोडाइकेनाल आदि पहाड़ी इलाके भी उनकी पसंदीदा सूची में शामिल हैं। ये सभी वे स्थान हैं जहां गर्मी के मौसम में भी हल्की सर्दी का अहसास होता है। जानकारी के अनुसार जैसलमेर क्षेत्र से करीब 10 हजार से ज्यादा लोग गर्मी की छुट्टियों में कहीं न कहीं घूमने जाते हैं।

घूमने जाने का आकर्षण कायम

जैसलमेर से हर साल गर्मियों में बड़ी संख्या में लोग घूमने निकलते हैं। इस बार भी अनेक लोग पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा व उत्तराखंड के चार धाम सहित अन्य धार्मिक स्थलों की यात्रा के प्रति रुचि दिखा रहे हैं। उनकी तरफ से यात्रा के संबंध में हर तरह की जानकारी ली जा रही है। ज्यादातर लोग 20 मई से जून महीने में घूमने जाने का कार्यक्रम बना रहे हैं।

सबको लुभाता है पहाड़ों का रोमांच और मौसम

घूमने के शौकीन लोग हर साल अथवा दो साल के अंतराल में एक बार परिवारजनों या मित्रों के साथ कहीं घूमने जाना पंसद करते हैं। विगत कुछ वर्षों की भांति इस साल भी सबसे ज्यादा लोग कश्मीर और हिमाचल प्रदेश जैसे क्षेत्रों का रुख करना चाहते हैं, कई तो जा भी चुके हैं। कश्मीर में श्रीनगर, पहलगाव, सोनमर्ग, गुलमर्ग जैसे स्थान हर लिहाज से बेहतरीन माने जाते हैं। दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश है, जो उत्तर भारत में अवस्थित होने तथा अपने शांतिप्रिय माहौल के कारण पर्यटकों में खासकर जैसलमेर के बाशिंदों में  बहुत लोकप्रिय है। गत वर्षों में हजारों की संख्या में जैसलमेरवासी हिमाचल के शिमला, मनाली, धर्मशाला, डलहौजी, मैकलॉडगंज आदि जैसे स्थानों की यात्रा कर चुके हैं। ऐसे भी लोग हैं, जो पर्यटन के नए ठिकानों की तलाश कर रहे हैं। उत्तराखंड के चार धाम बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री भी धार्मिक पर्यटन के साथ ठंडी आबोहवा के कारण पसंदीदा स्थान हैं। यात्रा की शुरुआत हरिद्वार व ऋषिकेश से होती है। जहां गंगा नदी में स्नान करने का अपना आनंद है।

युवाओं में विगत सालों के दौरान लेह-लद्दाख के साथ लाहौल स्पीति आदि दुर्गम क्षेत्रों की यात्रा करने का आकर्षण भी बहुत बढ़ चुका है। वहां वे बाइक्स पर भी घूमने का लुत्फ उठाते हैं। इन सबके साथ जैसलमेर से श्रीनाथद्वारा, पुष्कर, उदयपुर, कुम्भलगढ़ और माउंट आबू जैसे राजस्थान के शहर धार्मिक पर्यटन व पहाड़ी क्षेत्रों की यात्रा के तौर पर लोकप्रिय हैं। पड़ोसी राज्यों के उज्जैन, सोमनाथ, द्वारिका, मथुरा के धार्मिक व पर्यटन स्थलों की यात्रा करने वालों की तादाद इस बार भी खासी रहने वाली है।

जैसलमेर से अब भी विदेश जाने वालों की संख्या बहुत कम है। वैसे जो भी लोग विदेश यात्रा करते हैं, वे थाईलैंड, दुबई, मालदीव, सिंगापुर, कम्बोडिया आदि जैसे देशों की ही यात्रा करने के बारे में जरूरी पूछताछ कर रहे हैं। जैसलमेर से बाहर जाने वालों का सिलसिला शुरू हो चुका है। इसके साथ ही सुविधाजनक ट्रेनों में टिकटों की किल्लत भी देखी जा रही है। बीकानेर से हिमाचल या उत्तराखंड जाना सबसे नजदीक रहता है, लेकिन किसान आंदोलन के कारण ट्रेनें  प्रभावित हो रही हैं। इसके चलते कई लोगों को जयपुर या दिल्ली से होकर हरिद्वार अथवा चंडीगढ़ आदि जाना उचित लग रहा है। अनेक लोग यहीं से निजी वाहन लेकर भी जाते हैं। जैसलमेर से लम्बी दूरी की रेलों का अभाव इन दिनों खास तौर पर खल रहा है।