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Jaisalmer पहले औसत से अधिक बारिश, सितंबर हीट ने फेरा किसानो की उम्मीद पर पानी

 
Jaisalmer पहले औसत से अधिक बारिश, सितंबर हीट ने फेरा किसानो की उम्मीद पर पानी
जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, जैसलमेर  पश्चिमी राजस्थान के सरहदी जिले में इस वर्ष औसत से भी अधिक बारिश होने के बावजूद समय पर पानी नहीं मिलने से फिर अकाल जैसे हालात बन गए हैं। मानसून की बेरुखी के चलते अब भीषण गर्मी के साथ चल रही तेज हवा व आंधी से फसलों के चौपट होने का खतरा बढ़ गया है, जबकि बारिश की अभी तक कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। गौरतलब है कि पश्चिमी राजस्थान में मानसून मेहरबान होता है तो जुलाई-अगस्त माह में बारिश होती है। जिस पर किसान खरीफ फसलों की बुवाई कर देते हैं। बाजरा, ग्वार, मूंगफली व अन्य दलहनी फसलों की मानसून के दौरान पर्याप्त पानी मिल जाने और फिर सर्दी का मौसम शुरू हो जाने से अच्छी पैदावार हो जाती है। इस वर्ष समय से पहले बारिश होने पर किसानों ने अगेती बुवाई कर दी और फसलें लहलहाने भी लगी, लेकिन जब बारिश की जरुरत पड़ी तो इन्द्रदेव रुठ गए हो। बीते डेढ़ माह में एक बार भी बारिश नहीं हुई।

बारानी खेती में बाजरा, ग्वार, मूंग, तिल आदि फसलों में गत डेढ़ माह से बारिश नहीं होने, भीषण गर्मी व तेज आंधी से 50 से 60 फीसदी तक खराबा होने का अनुमान है। इससे इस बार इन फसलों में उपज कम होगी। क्षेत्र के किसानों के अनुसार अगस्त माह के तीसरे सप्ताह में बारिश की आवश्यकता थी, लेकिन सितंबर माह के दूसरे पखवाड़े की शुरुआत हो चुकी है, अभी तक बारिश नहीं हुई है। किसानों के अनुसार भीषण गर्मी व तेज आंधी के मौसम में बारिश के अभाव में 60 फीसदी फसलें चौपट हो चुकी है। अब भी यदि सितंबर माह के तीसरे सप्ताह तक बारिश नहीं हुई तो फसलों को और अधिक नुकसान की आशंका है। पोकरण क्षेत्र में मानसून के दौरान 300 से 400 एमएम बारिश का औसत है। इस वर्ष पहले बिपरजॉय, फिर प्री-मानसून व मानसून की अच्छी बारिश का दौर चला। इसके चलते समय से पहले ही जून व जुलाई 2 महीनों में 320 एमएम बारिश रिकॉर्ड की गई। इससे किसानों को इस साल अच्छे जमाने की आस थी। इसी उम्मीद के चलते किसानों ने खरीफ की फसलों की बुवाई कर दी, लेकिन अगस्त माह के तीसरे सप्ताह में बारिश की आवश्यकता महसूस हुई, जो अभी तक नहीं हो पाई है।

जैसलमेर में शुक्रवार को आसमान में बादल छाए रहेंगे। ह्युमिडिटी 54 प्रतिशत रहेगी और हवा की गति 17 किलोमीटर प्रति घंटा रहने की संभावना है। जून व जुलाई में अच्छी बारिश से जंगलों में चारों तरफ हरा चारा नजर आ रहा था। पश्चिमी राजस्थान में जून व जुलाई माह में हरे चारे की उम्मीद भी नहीं होती है, लेकिन बारिश के चलते पशुधन को राहत मिली। अब बारिश नहीं होने से जंगलों में चारा जलकर नष्ट हो चुका है। अब यदि समय पर बारिश नहीं होती है तो चारे का संकट भी उत्पन्न हो जाएगा।