Jaisalmer बिजली निगम में निजीकरण का विरोध, कर्मचारियों का धरना जारी
इसके करण एचएएम मॉडल के तहत 33/11 केवी ग्रिड निजी हाथों में देने से राज्य व देश की सामरिक सुरक्षा को किसानों व जनता के आंदोलनों से खतरा उत्पन्न हो सकता है। राज्य के उर्जा क्षेत्र में स्थायी रोजगार के अवसर लगभग खत्म हो जाएंगे। जिससे शिक्षित व प्रशिक्षित युवाओं की उर्जा क्षेत्र में स्थायी रोजगार की उम्मीदें धूमिल हो जाएगी।
एक दिन का सांकेतिक धरना लगाया
इस दौरान जैसलमेर संयुक्त संघर्ष समिति एकता मंच के संयोजक राजेंद्र कुमार सैनी ने बताया- जीएसएस को ठेके पर देने से राज्य के आमजनों व निगम के स्थायी कर्मचारियों के साथ करंट दुर्घटनाओं में वृद्वि होगी। उन्होंने बताया कि तकनीकी प्रकृति के स्थायी कार्यों के लिए स्थायी कर्मचारियों की भर्ती की जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि राजस्थान में स्मार्ट मीटर लगाने के लिए टेंडर हो चुके है। जबकि बिहार, महाराष्ट्र व एमपी में इस पर रोक लगाई गई है।सैनी ने बताया कि निगम में कार्यरत कर्मचारियों को करीब एक वर्ष पहले ओपीएस योजना का फार्म भरवाकर सदस्य बना दिया। राज्य सरकार के आदेश में स्पष्ट उल्लेख है कि पुरानी पेंशन योजना संस्था में लागू होने के बाद नियोक्ता अंशदान के रुप में कोई कटौती सीपीएफ योजना के अंतर्गत नहीं की जाएगी। लेकिन आज तक सीपीएफ कटौती बंद कर जीपीएफ कटौती शुरू नहीं की गई। इन मांगों को लेकर बिजली कर्मचारी शुक्रवार को कार्य बहिष्कार कर सामूहिक रूप से धरने पर बैठे।