Jaisalmer भावनाओं का पर्व है गणगौर, गूंज रहे भक्ति गीत
![Jaisalmer भावनाओं का पर्व है गणगौर, गूंज रहे भक्ति गीत](https://aapkarajasthan.com/static/c1e/client/91529/uploaded/f8ecd21411e5d4e6647cd1dce8818696.webp?width=968&height=500&resizemode=4)
जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, जैसलमेरस्वर्णनगरी में इन दिनों गली-मोहल्लों में गणगौर पर्व को लेकर आस्था, श्रद्धा व भक्ति का माहौल देखने को मिल रहा है। भक्ति गीतों की गूंज सुनी जा सकती है। दिन में पूजा अर्चना का दौर चलता है, वहीं शाम को युवतियां व बालिकाएं घुड़ला यानी जलते दीपक के साथ छेददार छोटा मटका लेकर परिचितों व रिश्तेदारों के यहां जाती है। बदलते समय में भी स्वर्णनगरी की महिलाओं व बालिकाओं में श्रद्धा, संस्कृति व मान्यताओं के लेकर अटूट विश्वास गणगौर पर्व के दौरान इन दिनों देखने को मिल रहा है।
सुबह-सुबह गड़ीसर मार्ग, कलक्ट्रेट मार्ग, हनुमान चौराहा व विभिन्न उद्यानों के समीप मंगल कलश लिए मंगल गीत गाते हुए युवतियों व बालिकाओं के समूह देखे जा सकते हैं। गौरतलब है कि इन दिनों सदा सुहागिन रहने व परिवार की खुशहाली की कामना लिए महिलाएं 16 दिवसीय गणगौर का व्रत का निर्वाह कर रही हैं। म्हने पूजन द्यो गणगौर गीत के साथ ही फल चुनने, पीपल पूजन करने, सूर्य देवता के अर्घ्य देने व अन्य धार्मिक क्रियाकलापों में उत्साह व उल्लास का माहौल नजर आ रहा है। शहर के विभिन्न समाजों की महिलाओं की ओर से गणगौर व्रत का निर्वहन किया जा रहा है।
सुहागिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु व कुंवारी कन्याएं भी सुयोग्य वर की कामना से यह व्रत करती है। कुंवारी, नवविवाहित व सौभाग्यवती महिलाएं मंगल गीत गाती हुई विभिन्न मोहल्लों में मंगल गीत गाते हुए देखी जा सकती है। गणगौर व्रत रखने वाली महिलाएं बताती है कि महिलाएं लगातार 16 दिन व्रत रखकर सौभाग्यवती बनी रहने की प्रार्थना करती है। गवर रखने वाली महिलाएं व युवतियां गवर माता की पूजा-अर्चना कर परिवार में सुख समृद्धि बनाए रखने की प्रार्थना करती है। रात को घुड़ला निकालने का रिवाज है।