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Jaisalmer फकीर से नाराज कुछ मुस्लिम महंत के साथ, प्रचंड वोट विस्फोट का संकेत

 
फकीर से नाराज कुछ मुस्लिम महंत के साथ, प्रचंड ‘वोट विस्फोट’ का संकेत

जैसलमेर न्यूज़ डेस्क स्माइलिंग बुद्धा-2 से दुनिया के परमाणु शक्ति वाले देशों में फिर से एंट्री करने वाले शक्तिस्थल पोकरण का सियासी पारा लगातार चढ़ रहा है। पोकरण किले के पास की हथाई से लेकर एडीजे कोर्ट के बाहर चाय की थड़ियों और गांव की चौपालों पर फिर से कांग्रेस के फकीर (विधायक सालेह मोहम्मद) और भाजपा के महंत (प्रतापपुरी) की प्रत्याशी के तौर पर चर्चा आम है कि इस बार फिर ‘वोटों का विस्फोट’ होगा। विधानसभा सीट बनने के बाद से यह पोकरण वासियों के लिए चौथा चुनाव है। तीन चुनाव में जमकर वोटों का ध्रुवीकरण हो चुका है।

ध्रुवीकरण भी ऐसा कि कांग्रेस प्रत्याशी सालेह मोहम्मद की दो बार की जीत सिर्फ तीन अंकों में सिमटी और पहली बार भाजपा यहां से 34 हजार वोटों से जीती। इस बार भी यहां का मिजाज वैसा ही लग रहा है। सालेह से नाराज कुछ मुस्लिम नेता छिटककर महंत के साथ आ गए हैं। इधर, भाजपा में खलबली ऐसी है कि मुस्लिम वोटों के खिसकने और फिर से बड़ा ध्रुवीकरण न हो, इसके लिए यूपी के सीएम योगी की यहां चुनावी सभा नहीं हो रही है।

पहले ध्रुवीकरण, फिर तुष्टीकरण
2008 में यह सीट बनी तब कांग्रेस के सालेह महज 339 वोटों से जीते। फिर 2013 का चुनाव 34 हजार वोटों से हारे और 2018 में केवल 872 वोटों से जीत पाए। यानी पहले चुनाव से ही वोटों का ध्रुवीकरण हो रहा है। 2013 में 87.63%, 2018 में 87.97% वोटिंग हुई, जो प्रदेश में सर्वाधिक है। भाजपा व कांग्रेस, दोनों ओर ध्रुवीकरण होता है। इस बार भी वोटिंग 90% के आसपास हो सकती है।

स्था​​​​​​​नीय लोग कांग्रेस विधायक पर विकास कार्यों में तुष्टीकरण का आरोप लगा रहे हैं। गांधी चौक में रामदेव जोशी कहते हैं, शहर में सड़के खराब हैं लेकिन विधायक मुस्लिम कच्ची बस्ती में सड़कें बनवा रहे हैं। पार्षद पति बासित खान का कहते हैं, पहले हम फकीर परिवार के समर्थक थे लेकिन इन्होंने भाजपा बोर्ड में 10 से ज्यादा ईओ बदले। कोविड में नगर पालिका का फंड मनमर्जी से खर्च कराया। विष्णु व्यास कहते हैं, जिला अस्पताल में ट्रोमा सेंटर घोषित कर दिया लेकिन बजट नहीं मिला। सालम सागर तालाब के सौंदर्यकरण के लिए अभी शिलान्यास किया, जो फंड के अभाव में रुक गया।