Jaisalmer जिला न्यायाधीश का आदेश निरस्त, न्यायिक अनुशासन का आदेश
जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान हाईकोर्ट ने जैसलमेर नगर परिषद की गोवर्धनदास कल्ला आवासीय योजना में भूखंड आवंटन प्रक्रिया को चुनौती को लेकर जैसलमेर जिला न्यायाधीश के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें अधीनस्थ अदालत ने सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के अंतरिम आदेशों से आगे बढ़ते हुए अंतरिम आदेश पारित कर दिया था। कोर्ट ने कहा कि खंडपीठ तथा सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अलावा कोई भी दृष्टिकोण न्यायिक अनुशासनहीनता का एक गंभीर मुद्दा है।
न्यायाधीश डॉ. पुष्पेंद्र सिंह भाटी की एकल पीठ में परिषद की ओर से अतिरिक्त राजकीय अधिवक्ता राजेश परिहार ने जिला न्यायाधीश के 5 जुलाई के आदेश को चुनौती दी थी। उन्होंने कहा कि प्रश्नगत आवासीय योजना में आवंटन प्रक्रिया के प्रावधानों को लेकर हाईकोर्ट की खंडपीठ पहले ही यह आदेश पारित कर चुकी है कि आवंटन याचिका के निर्णय के अधीन रहेगा। इस मामले में द्वितीय स्थगन प्रार्थना पत्र पर अपेक्षित आदेश नहीं आने पर निजी प्रतिवादियों ने उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर शीर्ष कोर्ट ने विज्ञापन और आवंटन पत्रों में लंबित याचिका का उल्लेख करने की शर्त जोड़ी थी।
इसके बावजूद जैसलमेर जिला न्यायाधीश ने दोनों उच्चतर अदालतों के अंतरिम आदेशों की अनदेखी करते हुए उससे आगे जाकर आदेश पारित कर दिया है। एकल पीठ ने याचिका को स्वीकार करते हुए जिला न्यायाधीश का आदेश रद्द कर दिया। साथ ही अधीनस्थ अदालत को यह हिदायत भी दी कि भविष्य में कोई भी आदेश पारित करने से पहले इस कोर्ट की खंडपीठ के समक्ष लंबित याचिका को ध्यान में रखा जाए, ताकि न्यायिक अनुशासन के किसी भी उल्लंघन से बचा जा सके।