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Jaisalmer ऋषभदेव भगवान का जन्म एवं दीक्षा कल्याणक हर्षोल्लास से मनाया

 
Jaisalmer ऋषभदेव भगवान का जन्म एवं दीक्षा कल्याणक हर्षोल्लास से मनाया

जैसलमेर न्यूज़ डेस्क,  जैसलमेर ऋषभदेव भगवान का जन्म एवं दीक्षा कल्याणक चैत्र वदी अष्टमी को हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। प्रवक्ता पवन कोठारी ने बताया कि आदिनाथ भगवान के नाम से विख्यात प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव परमात्मा ने असिएमसि एवं कृषि का बोध करवाकर मनुष्यों को कर्म व्यवस्था का ज्ञान दिया। उनसे पूर्व कल्पवृक्ष ही युगलिक मनुष्यों की पूर्ति किया करते थे। परमात्मा ऋषभदेव ने अग्नि के उपयोग की भी जानकारी देकर कर्म सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया। उन्हीं के ज्येष्ठ पुत्र प्रथम चक्रवर्ती राजा भरत के नाम से ही इस देश का नाम भारत रखा गया।

उनकी पुत्री ब्राह्मी के नाम से ही प्रथम लिपि विख्यात हुई, जिसे ब्राह्मी लिपि कहते हैं। भगवान ऋषभदेव के पौत्र और चक्रवर्ती भरत के पुत्र मारीचि के जीव वर्तमान शासनपति भगवान महावीर स्वामी के रूप में अवतरित हुए। इस अवसर्पिणी काल की प्रथम मोक्षगामी आत्मा भगवान ऋषभदेव की माता मरुदेवी थी। दीक्षा पर्यन्त 400 दिनों तक चारों आहारों का त्याग कर साधना करने वाले परमात्मा ऋषभदेव स्वामी का जन्म अयोध्या नगरी में हुआ था। उनके जन्म एवं दीक्षा कल्याणक के दिन सकल जैन संघ जैसलमेर की ओर से विविध आयोजन किए गए। धर्मनाथ स्वामी जिनालय महावीर भवन में रूपल कोठारी एवं सुपार्श्वनाथ जिनालय कोठारी पाड़ा में लाभार्थी मीना ओमप्रकाश बागचार तथा पाश्र्व महिला मंडल की ओर से स्नात्र पूजा आयोजित की गई। दुर्ग स्थित भगवान ऋषभदेव की प्रतिमा की महेंद्र भाई बाफना एवं जैन भवन में परमात्मा प्रतिमा की पवन कोठारी की ओर से अंग रचना की गई।