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6 बजे के बाद यहां रुका तो गायब हो जाता है इंसान ? वायरल वीडियो में राजस्थान की इस डरावनी जगह का सच जान काँप जाएगी रूह

 
6 बजे के बाद यहां रुका तो गायब हो जाता है इंसान ? वायरल वीडियो में राजस्थान की इस डरावनी जगह का सच जान काँप जाएगी रूह 

जैसलमेर न्यूज़ डेस्क - भारत ही नहीं, अगर दुनिया की सबसे डरावनी जगह की बात करें तो कुलधरा का नाम सबसे पहले आता है। राजस्थान के जैसलमेर से 14 किलोमीटर दूर स्थित कुलधरा गांव, जो पिछले 200 सालों से वीरान पड़ा है, एक भूतिया जगह है। ऐसा माना जाता है कि इस गांव को साल 1300 में पालीवाल ब्राह्मण समुदाय ने सरस्वती नदी के किनारे बसाया था। एक समय में इस गांव में काफी चहल-पहल रहती थी। लेकिन आज हालात ऐसे हैं कि कोई भी व्यक्ति यहां भटकने से डरता है और यह जगह 200 सालों से फिर से बसी नहीं है। आइए आपको इस गांव के बारे में कुछ रोचक बातें बताते हैं।

कुलधरा गांव का इतिहास
कुलधरा गांव को मूल रूप से ब्राह्मणों ने बसाया था, जो पाली क्षेत्र से जैसलमेर चले आए और कुलधरा गांव में बस गए। इस गांव की किताबों और साहित्यिक अभिलेखों में कहा जाता है कि पाली के एक ब्राह्मण कधान ने सबसे पहले इस जगह पर अपना घर बनाया और एक तालाब भी खुदवाया, जिसका नाम उन्होंने उधानसर रखा। पाली ब्राह्मणों को पालीवाल कहा जाता था।

रातों-रात गांव वालों के गायब हो जाने की कहानी
लोकप्रिय मिथक के अनुसार, 1800 के दशक में यह गांव मंत्री सलीम सिंह के अधीन एक जागीर या राज्य हुआ करता था, जो लोगों से कर वसूल कर ठगता था। गांव वाले उन पर लगाए जाने वाले कर से बहुत परेशान थे। ऐसा कहा जाता है कि सलीम सिंह को गांव के मुखिया की बेटी से प्यार हो गया था और उसने गांव वालों को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने विरोध करने या सड़कों पर उतरने की कोशिश की तो वह और अधिक कर वसूलना शुरू कर देगा। अपने गांव वालों की जान और अपनी बेटी की इज्जत बचाने के लिए मुखिया समेत पूरा गांव रातों-रात भाग गया। गांव वाले गांव को वीरान छोड़कर कहीं और चले गए। ऐसा कहा जाता है कि गांव वालों ने जाते समय गांव को श्राप दिया था कि आने वाले दिनों में यहां कोई नहीं रह पाएगा।

कुलधरा गांव में घूमना
कुलधरा गांव अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित एक ऐतिहासिक स्थल है। पर्यटक यहां घूमकर उस समय की झलक देख सकते हैं। कुलधरा इलाका एक विशाल क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसमें करीब 85 छोटी-छोटी बस्तियाँ शामिल हैं। गाँवों की सभी झोपड़ियाँ जीर्ण-शीर्ण और खंडहर हो चुकी हैं। यहाँ एक देवी मंदिर भी है, जो अब खंडहर हो चुका है। मंदिर के अंदर शिलालेख हैं, जिनसे पुरातत्वविदों को गाँव और उसके प्राचीन निवासियों के बारे में जानकारी जुटाने में मदद मिली है।

कुलधरा गाँव का समय और प्रवेश शुल्क
आप रोज़ाना सुबह 8 बजे से शाम 6 बजे तक गाँव में जा सकते हैं। चूँकि यह जगह भूतिया मानी जाती है, इसलिए स्थानीय लोग सूर्यास्त के बाद इसके दरवाज़े बंद कर देते हैं। कुलधरा गाँव में प्रवेश शुल्क 10 रुपये प्रति व्यक्ति है, अगर आप कार से बाहर जा रहे हैं और 50 रुपये प्रति व्यक्ति है, अगर आप कार से अंदर जा रहे हैं।