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हाईकोर्ट का फैसला! जैसलमेर कलेक्टर की बिना शर्त माफी स्वीकार, खत्म हुआ अवमानना मामला

 
हाईकोर्ट का फैसला! जैसलमेर कलेक्टर की बिना शर्त माफी स्वीकार, खत्म हुआ अवमानना मामला

जैसलमेर न्यूज़ डेस्क - हाईकोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी भूमिहीन किसान को जमीन आवंटित नहीं करने पर जैसलमेर कलेक्टर प्रताप सिंह के खिलाफ शुरू की गई अवमानना ​​की कार्यवाही को समाप्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ ने अवमानना ​​की कार्यवाही को समाप्त कर दिया है।

इससे पहले जस्टिस दिनेश मेहता की कोर्ट ने जैसलमेर कलेक्टर प्रताप सिंह को अवमानना ​​का दोषी करार दिया था। साथ ही सजा की राशि तय करने के लिए सुनवाई होनी थी। इसके खिलाफ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया। लेकिन राज्य सरकार के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए हाईकोर्ट से कलेक्टर के खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही समाप्त करने का अनुरोध किया। इसके बाद हाईकोर्ट ने कलेक्टर की बिना शर्त माफी स्वीकार करते हुए अवमानना ​​का मामला समाप्त कर दिया।

सरकार ने किसान को आवंटित की थी जमीन
सुप्रीम कोर्ट में सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने बताया कि सरकार ने 26 मई 1982 को राजस्थान काश्तकारी अधिनियम के तहत जैसलमेर के खदेरो की ढाणी में भूमिहीन किसानों को जमीन आवंटित की थी। इसमें याचिकाकर्ता तोला राम भी शामिल थे। बाद में रक्षा मंत्रालय की आपत्ति के चलते सरकार ने यह आवंटन रद्द कर दिया। इसके खिलाफ याचिकाकर्ता व अन्य आवंटियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हाईकोर्ट ने 11 अगस्त 2006 को अंतरिम आदेश देकर आवंटियों को अन्य स्थानों पर जमीन आवंटित करने के निर्देश दिए। सरकार ने 2008 में मोकला में जमीन आवंटित की। लेकिन याचिकाकर्ता व अन्य ने जमीन उतनी कीमत की नहीं होने का दावा करते हुए कब्जा लेने से इनकार कर दिया। इस विवाद के चलते कई साल तक मुकदमेबाजी चलती रही।

इसके बाद तोला राम ने 2014 में नई याचिका दायर कर खड़ेरो की ढाणी में जमीन की मांग की। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 2 दिसंबर 2022 को खसरा नंबर 206 में जमीन आवंटित करने के निर्देश दिए। लेकिन सरकार ने इस आदेश की पालना नहीं की। इसके बाद याचिकाकर्ता ने कलेक्टर के खिलाफ अवमानना ​​याचिका दायर की। इस याचिका के बाद सरकार ने अपनी खंडपीठ में अपील की। ​​खंडपीठ ने अपील में देरी के लिए सरकार की याचिका खारिज कर दी। इधर, एकलपीठ ने आदेश की पालना नहीं करने पर कलेक्टर को अवमानना ​​का दोषी माना। इस पर सरकार ने याचिकाकर्ता व अन्य को जैसलमेर के खदेरो की ढाणी स्थित 53.11 बीघा जमीन आवंटित कर दी।

केवल कृषि कार्य के लिए हो सकेगा उपयोग
सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता जिस जमीन की मांग कर रहा है, वह सूर्यगढ़ पैलेस व नेशनल हाईवे के नजदीक है। यह जमीन पर्यटन विकास के लिए पर्याप्त है। राज्य नीति के तहत इसका बेहतर उपयोग पर्यटन के लिए किया जा सकता था। लेकिन, हाईकोर्ट के आदेश की पालना में सरकार ने भूमिहीन किसानों को यह जमीन कृषि कार्य के लिए आवंटित कर दी है, लेकिन वे इसका अन्य किसी कार्य के लिए उपयोग नहीं कर सकते।