ममता की मिसाल: जैसलमेर में ऊंटनी की मौत के बाद 5 दिन तक उसके शव के पास डटा रहा बच्चा
रेगिस्तान की तपती रेत में ममता और लगाव की एक मार्मिक तस्वीर जैसलमेर जिले से सामने आई है, जिसने हर किसी को भावुक कर दिया है। यहां एक ऊंटनी की मौत के बाद उसका बच्चा पूरे पांच दिन तक मां के शव के पास बैठा रहा। वह बार-बार अपनी मां को सिर से उठाने की कोशिश करता और जब कोई प्रतिक्रिया नहीं मिलती, तो फिर आकर चुपचाप उसी जगह बैठ जाता। यह दृश्य देखने वालों की आंखें नम कर गया।
स्थानीय लोगों के अनुसार, ऊंटनी की मौत किसी प्राकृतिक कारण से हो गई थी। लेकिन उसका बच्चा यह समझ नहीं पा रहा था कि उसकी मां अब कभी नहीं उठेगी। वह लगातार उसके आसपास मंडराता रहा, कभी पास जाकर सूंघता, तो कभी अपने सिर से मां को उठाने की कोशिश करता। मानो वह उसे जगाने का प्रयास कर रहा हो। दिन हो या रात, वह ऊंटनी के शव को छोड़कर कहीं नहीं गया।
इस दौरान सबसे दर्दनाक पहलू यह रहा कि जंगली जानवरों और आवारा कुत्तों के हमलों में ऊंट का बच्चा घायल भी हो गया, लेकिन इसके बावजूद उसने अपनी मां का साथ नहीं छोड़ा। उसके शरीर पर चोटों के निशान देखे गए, फिर भी वह वहीं बैठा रहा, मानो मां की रखवाली कर रहा हो। स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार उसे डराकर हटाने की कोशिश की गई, लेकिन वह थोड़ी दूरी पर जाकर फिर वापस मां के पास लौट आता था।
रेगिस्तानी इलाके में ऊंटों को ‘रेगिस्तान का जहाज’ कहा जाता है और यहां के लोगों की आजीविका और संस्कृति में उनका विशेष स्थान है। ऐसे में यह घटना केवल एक जानवर की कहानी नहीं, बल्कि मां और बच्चे के अटूट रिश्ते की मिसाल बनकर सामने आई है। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि उन्होंने अपने जीवन में ऐसा दृश्य बहुत कम ही देखा है।
घटना की जानकारी मिलते ही कुछ पशुप्रेमी और ग्रामीण मौके पर पहुंचे। उन्होंने ऊंट के बच्चे को पानी और चारा देने का प्रयास किया, लेकिन वह पहले मां के शव के पास ही बैठा रहा। काफी प्रयासों और समय के बाद ग्रामीणों ने किसी तरह उसे वहां से हटाया और उसका उपचार करवाया। घायल होने के कारण बच्चे की हालत कमजोर बताई जा रही है, हालांकि अब उसकी देखभाल की जा रही है।
इस घटना ने लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि भावनाएं केवल इंसानों तक सीमित नहीं होतीं। जानवरों में भी प्रेम, लगाव और संवेदनाएं उतनी ही गहरी होती हैं। सोशल मीडिया पर भी यह कहानी तेजी से फैल रही है और लोग ऊंट के बच्चे की वफादारी और ममता को सलाम कर रहे हैं।
जैसलमेर की यह घटना एक बार फिर यह संदेश देती है कि प्रकृति और जीव-जंतुओं के साथ हमारा रिश्ता केवल उपयोग का नहीं, बल्कि संवेदनाओं और जिम्मेदारी का भी है। रेगिस्तान की खामोशी में घटित यह कहानी हर दिल को छू लेने वाली है, जहां एक नन्हा ऊंट अपनी मां के जाने के बाद भी उसे छोड़ने को तैयार नहीं हुआ।
