Aapka Rajasthan

देश की सुरक्षा पर संकट! बॉर्डर पर जासूसी नेटवर्क एक्टिव, खुफिया जानकारी के बदले ली जा रही भारी रकम

 
देश की सुरक्षा पर संकट! बॉर्डर पर जासूसी नेटवर्क एक्टिव, खुफिया जानकारी के बदले ली जा रही भारी रकम

जैसलमेर न्यूज़ डेस्क - लंबे अंतराल के बाद सीमावर्ती जिले में जासूसी गतिविधियों का खेल फिर से सामने आने लगा है। अभी तक सुरक्षा एजेंसियां ​​कुछ स्लीपर सेल लिंक ही उजागर कर पाई हैं, लेकिन आशंका है कि कई मजबूत नेटवर्क अभी भी सक्रिय हैं, जो सीधे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े हैं।

देश से जुड़ी गोपनीय सूचनाएं पड़ोसी देश को पहुंचाने वाले लोगों को लालच का नेटवर्क जोड़ता है। आईएसआई लोगों को सामान्य सूचनाओं के बदले मोटी रकम का लालच देकर अपने जाल में फंसाती है। हाल ही में पाकिस्तान से संदिग्ध कॉल के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें लॉटरी जीतने या किसी अन्य बहाने से लोगों को फंसाने का प्रयास किया गया। जानकारों का कहना है कि इस तरह की अज्ञात कॉल सूचनाएं निकलवाने या वित्तीय धोखाधड़ी के लिए की जाती हैं।

हकीकत: निगरानी बनी हुई है चुनौती, नई चौकियों की जरूरत
सीमावर्ती इलाकों और उपनिवेशन तहसीलों में निगरानी रखना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। जैसलमेर जिले का विशाल क्षेत्र और सीमित पुलिस संसाधन इसे और कठिन बना रहे हैं। अपेक्षाकृत छोटी पुलिस व्यवस्था और मैनपावर की कमी के कारण पर्याप्त निगरानी नहीं हो पा रही है। लंबे समय से नई पुलिस चौकियां स्थापित करने की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

इसलिए जैसलमेर पर गिद्धों की नजर
- यह पाकिस्तान से सटा सीमावर्ती जिला है, जहां से सूचनाएं लीक होने की ज्यादा संभावनाएं रहती हैं।
- जैसलमेर वीवीआईपी और पर्यटकों की पसंदीदा जगह है, जहां हर साल लाखों पर्यटक आते हैं।
- पोखरण और किशनगढ़ फील्ड फायरिंग रेंज में नियमित सैन्य अभ्यास किए जाते हैं।
- मिसाइलों और युद्ध हथियारों के परीक्षण के लिए यह अनुकूल क्षेत्र है।
- सुरक्षा एजेंसियों, बीएसएफ और पुलिस के बीच समन्वय को और मजबूत किया जाए।
- सीमावर्ती थाना क्षेत्रों में बीट सिस्टम और रात्रि गश्त को और प्रभावी बनाया जाए।
- उप-उपनिवेशीकरण तहसीलों में स्थित चक बस्तियों में समय-समय पर सत्यापन अभियान चलाए जाएं।
- सीमावर्ती जिले की सुरक्षा में किसी भी तरह की ढिलाई के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
- ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों को सतर्कता बढ़ाने और निगरानी तंत्र को मजबूत करने की दिशा में ठोस कदम उठाने की जरूरत है।