राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता हैं बाबा रामदेव, भक्तों की मनोकामना होती पूर्ण, विडियो में जानें इतिहास
जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, बाबा रामदेव जी राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता हैं. जैसलमेर में बाबा का विशाल मंदिर है जहां दूर-दूर से श्रद्धालु उन्हें नमन करने आते हैं, इस मंदिर के चमत्कारों की चर्चा चारों और है. कहा जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से बाबा की अराधना करता है उनका भला होता है और मान्यता है कि बाबा के श्रृद्धालु मनोकामना पूरी करने हेतु उनका जागरण दिलवाते है जो कि मेघवंशी समाज के लोगों के द्वारा पूरा होता है जिन्हें रिखिया कहा जाता है. आज हम इन्ही रिखिया समुदाय से आपको रुबरु करवाने जा रहे है जिन्हें बाबा रामदेव का परमभक्त भी माने जाते है.
रिखिया मंदिर में लगाते हैं बाबा का जगराता
धारणा है कि अपनी मनोकामनाओं के लिए बाबा के जगराता दिलवाने का चलन है, श्रृद्धालु अपने हर सुख दुःख में बाबा के नाम की प्रसादी, परिक्रमा तथा जागरण दिलवाने का वादा करते हैं और मनोरथ पूर्ण होने पर बाबा के नाम का जगराता दिलवाते है. मान्यता है कि बाबा का जगराता मेघवंशी समाज से ताल्लुक रखने वाले बाबा के भक्त ( रिखिया) लगाते हैं तभी स्वीकार होता है. बाबा रामदेव मंदिर प्रांगण में जागरण दे रहे रिखियों ने बताया कि हर किसी के लिए घर पर जागरण दिलवाना संभव नहीं हो पाता है क्योंकि जरुरी पुजा पाठ की सामग्री, बाबा के भक्त (रिखिया) हर जगह नहीं मिल पाते हैं तथा आर्थिक रूप से अक्षम लोग भी जगराता दिलवाने में सक्षम नहीं है इसलिए यहाँ पर श्रद्धानुसार भेंट के बदले बाबा का जगरातादियाजाताहै.
बाबा रामदेव है जैसलमेर में लोकप्रिय
रामदेवजी सामुदायिक सद्भाव तथा अमन के प्रतीक हैं. बाबा का अवतरण वि.सं. 1409 को भाद्रपद शुक्ल दूज के दिन तोमर वंशीय राजपूत तथा रूणीचा के शासक अजमलजी के घर हुआ. उन्होंने पूरा जीवन शोषित, गरीब और पिछड़े लोगों के बीच बिताया. उन्होंने रूढिय़ों तथा छूआछूत का विरोध किया. भक्त उन्हें प्यार से रामापीर या राम सा पीर भी कहते हैं. बाबा को श्री कृष्ण के अवतार माना जाता है. भक्तों का उनके प्रति समर्पण इतना है कि पाकिस्तान से मुस्लिम भक्त भी उन्हें नमन करने भारत आते हैं.
