दो साल की मेहनत और रिसर्च के बाद BSF को मिला हाईटेक सुविधाओं से लैस यूनिफॉर्म, जानिए क्या है खासियत ?

भारत की सीमाओं पर रक्षा की पहली पंक्ति में शामिल सीमा सुरक्षा बल के जवान जल्द ही आधुनिक सुविधाओं से लैस नई वर्दी में नजर आएंगे। आपको बता दें कि सीमा सुरक्षा बल की वर्दी के पैटर्न और कपड़े में बड़ा बदलाव किया गया है। यह बदलाव लंबे समय के बाद जवानों की सहूलियत को ध्यान में रखते हुए किया गया है। सीमा सुरक्षा बल की वर्दी में इस बार किया गया बदलाव सिर्फ रंग या पैटर्न में ही नहीं बल्कि इसके कपड़े, डिजाइन और उपयोगिता में भी है। बताया जा रहा है कि बीएसएफ जवानों की यह नई वर्दी डिजिटल कॉम्बैट पैटर्न में होगी, जो दिखने में आकर्षक होने के साथ-साथ ऑपरेशन के लिहाज से भी ज्यादा उपयोगी होगी।
पुरानी वर्दी से किस तरह अलग है यह वर्दी?
देश की पश्चिमी सीमा पर थार रेगिस्तान के बीचों-बीच जहां गर्मियों में तापमान 50 से 55 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। ऐसी भीषण गर्मी से निपटने में भी सीमा सुरक्षा बल की यह नई वर्दी कारगर बताई जा रही है। इस नई वर्दी का कपड़ा 80 फीसदी कॉटन, 19 फीसदी पॉलिएस्टर और 1 फीसदी स्पैन्डेक्स से तैयार किया जा रहा है। इससे यह वर्दी अधिक सांस लेने योग्य, हल्की, लचीली और गर्म मौसम के लिए उपयुक्त होगी। इस कपड़े को राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों के साथ-साथ पंजाब-बंगाल के नमी वाले इलाकों के लिए भी उपयुक्त माना जा रहा है।
क्योंकि पतले कपड़े होने की वजह से भीषण गर्मी में सांस लेना आसान होगा। साथ ही पुरानी वर्दी में कपड़ा मोटा था, लेकिन इस कपड़े को पतला बताया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस नई ड्रेस का डिजाइन तैयार करने और इसकी उपयोगिता जांचने में करीब 2 साल का समय लगा। अगर वर्दी सभी मानकों पर खरी उतरती है तो जल्द ही यह वर्दी जवानों को दे दी जाएगी। सबसे पहले इस वर्दी के सैंपल जवानों और अफसरों ने पहने और राजस्थान, पंजाब और बंगाल में अभ्यास कराया गया, जिनके फीडबैक के आधार पर यह वर्दी तैयार की गई है। दुश्मनों की नजरों से छिपाने में मददगार नई वर्दी 3 रंगों को मिलाकर बनाई गई है, जिसमें 50 फीसदी खाकी, 45 फीसदी हरा और 5 फीसदी भूरा रंग इस्तेमाल किया गया है। इस वर्दी का यह रंग संयोजन ऑपरेशन के दौरान जवानों को दुश्मनों की नजरों से छिपाने में मददगार साबित होगा।
साथ ही पहली बार बीएसएफ की वर्दी में डिजिटल प्रिंटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। डिजिटल पैटर्न वाले कपड़े जल्दी खराब नहीं होते। इसका साफ मतलब है कि यह नई वर्दी स्टाइलिश होने के साथ-साथ ज्यादा टिकाऊ भी है और ऑपरेशन के दौरान जवानों को ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती है. बीएसएफ की स्थापना के बाद से जवानों की वर्दी का पैटर्न कई बार बदला है, लेकिन 1965 से लेकर अब तक बीएसएफ जवानों के हौसले आज भी उतने ही बुलंद हैं। आपको बता दें कि आखिरी बार साल 2010-11 में बीएसएफ जवानों की वर्दी बदली गई थी, जिसके बाद अब 2025 में एक बार फिर वर्दी बदलने जा रही है। सीमा सुरक्षा बल उत्तरी सेक्टर के डीआईजी योगेंद्र सिंह राठौर ने नई वर्दी के बारे में कहा कि- हां, हमारे सामने बीएसएफ की नई वर्दी आई है। जैसा कि मैंने आपको बताया कि अपग्रेड होता रहता है. मैंने इसी संदर्भ में सोचा। इस वर्दी की बनावट में बदलाव है, रंग में बदलाव है। यह नई वर्दी आ गई है. जल्द ही आप हम सभी को नई वर्दी में देखेंगे।