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Navratri Ashtami 2022: राजस्थान में आज दुर्गाष्टमी की धूम, आज के दिन जैसलमेर की तनोटराय माता की होती विशेष पूजा

 
Navratri Ashtami 2022: राजस्थान में आज दुर्गाष्टमी की धूम, आज के दिन जैसलमेर की तनोटराय माता की होती विशेष पूजा

जैसमेर न्यूज डेस्क। इस वक्त प्रदेश भर में नवरात्रि पर्व की धूम मची हुई है। भक्त सुबह से माता के दरबार में पहुंच कर दर्शन कर रहें है। जैसलमेर से 120 किलोमीटर दूर तनोट माता का मंदिर देश भर के श्रद्धालुओं की भी श्रद्धा का भी केन्द्र है। देश भर से श्रद्धालु नतमस्तक होने पहुंचते हैं। नवरात्रि के मौके पर तनोट मंदिर में आस्था का ज्वार उमड़ता है। नवरात्रि में विख्यात माता तनोट के मंदिर में होने वाली तीनों आरतियों में समूचा मंदिर परिसर श्रद्धालुओं से भर जाता है और मंदिर में आरती के बाद परिसर मातारानी के जयकारों से गूंज जाता है। तनोट राय मन्दिर आमजन की आस्था का केन्द्र भी बनता जा रहा है। 

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माता तनोट राय का मंदिर जैसलमेर से करीब 120 किमी दूर भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर स्थि‍त है। तनोट माता को देवी हिंगलाज माता का एक रूप माना जाता है। हिंगलाज माता शक्तिपीठ वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासवेला जिले में स्थित है। भाटी राजपूत नरेश तणुराव ने तनोट को अपनी राजधानी बनाया था। उन्होंने विक्रम संवत 828 में माता तनोट राय का मंदिर बनाकर मूर्ति को स्थापित किया था। भाटी राजवंशी और जैसलमेर के आसपास के इलाके के लोग पीढ़ी दर पीढ़ी तनोट माता की अगाध श्रद्धा के साथ उपासना करते रहे है। कालांतर में भाटी राजपूतों ने अपनी राजधानी तनोट से जैसलमेर ले गए, लेकिन मंदिर वहीं रहा। तनोट माता का य‍ह मंदिर स्थानीय निवासियों का एक पूजनीय स्थान हमेशा से ही रहा है, लेकिन 1965 में भारत-पाक युद्ध के दौरान जो चमत्कार देवी ने दिखाए उसके बाद तो भारतीय सैनिकों और सीमा सुरक्षा बल के जवानों की भी गहरी आस्था बन गई।

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तनोट माता के मंदिर से भारत-पाकिस्तान युद्ध की कई चमत्कारिक यादें जुड़ी हुई हैं. यह मंदिर भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तानी सेना के फौजियों के लिए भी आस्था का केन्द्र रहा है. कहते हैं कि 1965 के भारत-पाक युद्ध में पाक सेना ने हमारी सीमा में भयानक बमबारी करके लगभग 3 हजार हवाई और जमीनी गोले दागे थे, लेकिन तनोट माता के क्षेत्र में एक भी गोला नहीं फटा। पाकिस्तानी सेना 4 किलोमीटर अंदर तक सीमा में घुस आई थी, पर युद्ध देवी के नाम से प्रसिद्ध इस देवी के प्रकोप से पाक सेना को उल्टे पांव लौटना पड़ा था। पाक सेना को अपने 100 से अधिक सैनिकों के शवों को भी छोड़ कर भागना पड़ा था। कहा जाता है कि युद्ध के समय माता के प्रभाव ने पाकिस्तानी सेना को इस कदर उलझा दिया था कि रात के अंधेरे में पाक सेना अपने ही सैनिकों को भारतीय समझ कर उन पर गोलाबारी करने लगे। नतीजा ये हुआ कि पाक सेना ने अपने ही सैनिकों का अंत कर दिया। इस घटना के गवाह के तौर पर आज भी मंदिर परिसर में 450 तोप के गोले रखे हुए हैं, जो कि बिना फटे हुए जिंदा है।