Aapka Rajasthan

Jaisalmer का 869 साल पुराना किला बारिश के कारण बाग में तब्दील, फैली हरियाली

 
Jaisalmer का 869 साल पुराना किला बारिश के कारण बाग में तब्दील, फैली हरियाली

जैसलमेर न्यूज़ डेस्क, जैसलमेर में इस सीजन में हुई मानसून की अच्छी बारिश से सोनार किले का आकर्षण और भी ज्यादा बढ़ गया है। सोनार फोर्ट जो बारिश से पहले सूखा लगता था, आज वहां चारों तरफ हरियाली छा जाने से उसका रूप और भी ज्यादा निखर आया है। 869 साल पुराने इसे किले के परकोटे पर छाई हरियाली ने इसकी रौनक ही बढ़ा दी है।जैसलमेर आने वाले सैलानियों को ये किला दूर से ही आकर्षित कर रहा है। साल भर जहां केवल पत्थर ही नजर आते हैं, आज वहां चारों तरफ हरियाली खिल उठी है। जिसने रेगिस्तान में बने इस किले को नखलिस्तान (रेगिस्तान में हरा-भरा स्थान) बना दिया है।

869 साल पुराना है जैसलमेर का किला

जैसलमेर का ये राजस्थान का दूसरा सबसे पुराना किला है, जिसे 1156 ई. में रावल (शासक) जैसल ने बनवाया था, जिनके नाम पर इसका नाम पड़ा। इस किले में 99 बुर्ज है। इसकी विशाल पीले बलुआ पत्थर की दीवारें दिन के समय गहरे भूरे शेर के रंग की होती हैं, जो सूरज ढलने के साथ शहद-सुनहरे रंग में बदल जाती हैं, जिससे किला पीले रेगिस्तान में छिप जाता है। इस कारण इसे स्वर्ण दुर्ग, सोनार किला या गोल्डन फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है।

पहाड़ी पर बना है फोर्ट

यह किला 1,500 फीट (460 मीटर) लंबा और 750 फीट (230 मीटर) चौड़ा है और एक पहाड़ी पर बना है जो आसपास के ग्रामीण इलाकों से 250 फीट (76 मीटर) की ऊंचाई पर है। किले के आधार में 15 फीट (4.6 मीटर) ऊंची दीवार है जो किले की सबसे बाहरी रिंग बनाती है। किले में 99 बुर्ज शामिल है।

सत्यजीत रे की फिल्म सोनार किला से नाम सोनार पड़ा

जैसलमेर के इस किले का नाम सोनार किला (बंगाली में गोल्डन फोर्ट्रेस) नाम पर्यटकों द्वारा इसी नाम की प्रसिद्ध बंगाली फिल्म के बाद लोकप्रिय हुआ। जिसे प्रख्यात फिल्म निर्माता सत्यजीत रे ने 1974 में बनाई थी और इस किले में शूट किया था। जैसलमेर फोर्ट को सोनार किला फिल्म के बाद से सोनार फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है और यही अब इसका प्रसिद्ध नाम भी हो गया है। इस किले को देखने आज भी बड़ी संख्या में बंगाली सैलानी जैसलमेर आते हैं।

त्रिकुटा पहाड़ी पर होने से त्रिकूटगढ़ भी कहते है

सोनार किला त्रिकुटा पहाड़ी पर थार रेगिस्तान के रेतीले विस्तार के बीच स्थित है, इसलिए इसे त्रिकूटगढ़ भी कहा जाता है। यह आज उस शहर के दक्षिणी किनारे पर स्थित है, जिसका नाम इसी पर है। इसका प्रमुख पहाड़ी स्थान इसके किले की विशाल मीनारें कई मील दूर से दिखाई देती हैं।

किले में प्रवेश के है 4 द्वार

किले में प्रवेश के 4 द्वार है। अखे प्रोल, सूरज प्रोल, गणेश प्रोल और हवा प्रोल। किले में आने वाले पर्यटकों को इन 4 विशाल प्रवेश द्वारों से होकर गुजरना पड़ता है, जो गढ़ के मुख्य प्रवेश द्वार के साथ स्थित हैं।

यूनेस्को की विश्व धरोहर में शामिल

साल 2013 में, कंबोडिया के नोम पेन्ह में आयोजित विश्व धरोहर समिति के 37वें सत्र में जैसलमेर किले को राजस्थान के 5 अन्य किलों के साथ, राजस्थान के पहाड़ी किलों के समूह के तहत यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। इस किले को देखने सालभर लाखों देसी-विदेशी सैलानी जैसलमेर आते हैं।

आज भी किले में 4 हजार लोग रहते है

पहले जैसलमेर की पूरी आबादी किले के भीतर रहती थी, लेकिन फिर आबादी बढ़ने के साथ ही किले के बाहर भी लोगों ने निवास करना शुरू किया। लेकिन आज भी किले में करीब 4 हजार लोगों की निवासी आबादी है, जो बड़े पैमाने पर ब्राह्मण और हजूरी समाज से आते हैं। इन दोनों समुदायों ने एक बार किले के भाटी शासकों के लिए कार्य बल के रूप में कार्य किया। जिसकी सेवा ने तब श्रमिकों को पहाड़ी की चोटी पर और किले की दीवारों के भीतर रहने का अधिकार दिया। जैसलमेर शहर की आबादी 75 हजार के करीब है जिसमें से करीब 4 हजार लोग सोनार दुर्ग में निवास करते हैं। सोनार दुर्ग में नगर परिषद के 2 वार्ड भी लगते हैं।

औसत से 67 फीसदी ज्‍यादा बारिश हुई
जैसलमेर में बारिश का औसत आंकड़ा 215 एमएम है, लेकिन इस बार जिले में 67 फीसदी ज्यादा बारिश हुई है। अब तक इस सीजन में करीब 361.8 एमएम बारिश हो चुकी है। साल 2022 में 382 एमएम बारिश हुई थी। लेकिन उसके बाद से पिछले 10 सालों में इस बार सबसे ज्यादा बारिश इस सीजन में हुई है। बात करे जैसलमेर शहर की तो जैसलमेर शहर में भी मानसून जमकर बरसा है और करीब 408.7 एमएम बारिश शहर में हुई है।