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भर्ती प्रक्रिया के दौरान हुईं विधवा तो नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ, फुटेज में जानें राजस्थान हाईकोर्ट ने और क्या क्या कहा

भर्ती प्रक्रिया के दौरान हुईं विधवा तो नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ, फुटेज में जानें राजस्थान हाईकोर्ट ने और क्या क्या कहा
 
भर्ती प्रक्रिया के दौरान हुईं विधवा तो नहीं मिलेगा आरक्षण का लाभ, फुटेज में जानें राजस्थान हाईकोर्ट ने और क्या क्या कहा

राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर बेंच ने सरकारी भर्ती प्रक्रिया को लेकर एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया है कि भर्ती के दौरान किसी महिला अभ्यर्थी के पति की मृत्यु आवेदन की अंतिम तिथि के बाद होती है, तो उसे विधवा श्रेणी का आरक्षण लाभ प्रदान नहीं किया जा सकता।

जस्टिस मन्नूरी लक्ष्मण की एकलपीठ ने यह आदेश सरोज शर्मा की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए दिया। पाली जिले के निमाज निवासी सरोज शर्मा ने एलडीसी भर्ती-2013 में अपनी श्रेणी में बदलाव और विधवा कोटे में नियुक्ति की मांग को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया था।

कोर्ट ने कहा— पात्रता का निर्धारण आवेदन की अंतिम तारीख से
अदालत ने अपने फैसले में कहा—

  • भर्ती प्रक्रिया में पात्रता निर्धारित करने की तिथि आवेदन की अंतिम तारीख ही होगी

  • अंतिम तारीख के बाद घटित घटनाओं के आधार पर श्रेणी में परिवर्तन नहीं किया जा सकता

  • इससे भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता और समान अवसर का सिद्धांत प्रभावित होता है

“खेल शुरू होने के बाद नियम नहीं बदले जा सकते”
इसके साथ ही हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के कई पूर्व फैसलों का हवाला दिया और कहा—

“चयन प्रक्रिया के दौरान बीच में नियम बदलना न्यायसंगत नहीं है। खेल शुरू होने के बाद नियम नहीं बदले जा सकते।”

कोर्ट ने माना कि यदि ऐसी अनुमति दी गई तो—

  • चयन प्रक्रिया में अराजकता फैल सकती है

  • और अभ्यर्थियों के बीच असमानता पैदा होगी

याचिका खारिज, न्यायालय ने दी कड़ी टिप्पणी
कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका को खारिज कर दिया कि नियम प्रत्येक अभ्यर्थी पर समान रूप से लागू होते हैं, चाहे परिस्थितियाँ बाद में कितनी भी बदल जाएँ।

क्यों महत्वपूर्ण है यह फैसला?
इस निर्णय से आगे के मामलों में एक स्पष्ट कानूनी आधार स्थापित होगा। विशेषकर उन स्थितियों में—

  • जहाँ अभ्यर्थी भर्ती प्रक्रिया के दौरान श्रेणी बदलने की मांग करते हैं

  • या अंतिम तिथि के बाद पात्रता शर्तें बदलने की कोशिश की जाती है

यह फैसला भर्ती प्रक्रिया की निश्चितता और पारदर्शिता को मजबूत करने वाला माना जा रहा है।