एसआई भर्ती रद्द करने की एसओजी ने की क्यों की सिफारिश, दो मिनट के वीडियो में जानें क्या है पुरा मामला?
राजस्थान की बहुचर्चित एसआई भर्ती 2021 मामले में हाईकोर्ट में सोमवार को लगातार दूसरे सप्ताह भी सुनवाई जारी रही। इस दौरान चयनित अभ्यर्थियों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एके शर्मा ने कोर्ट के समक्ष जोरदार बहस की। उन्होंने विशेष अभियोजन शाखा (SOG) की रिपोर्ट पर सवाल उठाते हुए कहा कि भर्ती को रद्द करने की सिफारिश एसओजी ने स्वेच्छा से की थी, इसके लिए राज्य सरकार की ओर से कोई स्पष्ट निर्देश नहीं दिए गए थे।
वरिष्ठ वकील एके शर्मा ने कोर्ट में दलील दी कि चयनित अभ्यर्थियों के भविष्य से जुड़ा यह मामला केवल संदेह के आधार पर नहीं निपटाया जा सकता। उन्होंने कहा कि एसओजी ने जिस रिपोर्ट के आधार पर भर्ती प्रक्रिया को संदेहास्पद बताया, उसमें कई तथ्य एकतरफा हैं और उसका कोई वैधानिक आधार नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि एसओजी की भूमिका एक जांच एजेंसी की थी, न कि कोई निर्णायक संस्था की, जो यह तय कर सके कि भर्ती रद्द होनी चाहिए या नहीं।
शर्मा ने कोर्ट को यह भी बताया कि राज्य सरकार ने सार्वजनिक रूप से कभी भी यह नहीं कहा कि वह भर्ती को रद्द कर रही है। बल्कि, केवल एसओजी की रिपोर्ट के आधार पर प्रक्रिया को रोका गया, जो न्यायिक प्रक्रिया के विरुद्ध है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि बिना पर्याप्त प्रमाण और राज्य सरकार की अधिकृत मंजूरी के, इस तरह की कार्रवाई करना चयनित अभ्यर्थियों के अधिकारों का हनन है।
एसआई भर्ती 2021 के अंतर्गत कुल 859 पदों के लिए परीक्षा आयोजित की गई थी, जिसमें बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने भाग लिया था। चयन प्रक्रिया के अंतिम चरण तक पहुंच चुके अभ्यर्थियों की सूची जारी हो चुकी थी, लेकिन इसके बाद पेपर लीक और गड़बड़ी की आशंका को लेकर एसओजी ने जांच शुरू की। जांच रिपोर्ट में अनियमितताओं की बात सामने आने के बाद इस भर्ती को रोक दिया गया और बाद में रद्द करने की सिफारिश की गई थी।
अब इस पूरे मामले में हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें चयनित अभ्यर्थियों ने भर्ती रद्द करने को चुनौती दी है। कोर्ट में बहस के दौरान अभ्यर्थियों की ओर से यह भी कहा गया कि जिन्होंने पारदर्शी तरीके से परीक्षा पास की और चयनित हुए, उन्हें भी इस फैसले से नुकसान हो रहा है।
क्या है अगला कदम?
हाईकोर्ट में अभी सुनवाई जारी है और आने वाले दिनों में राज्य सरकार की ओर से भी पक्ष रखा जाएगा। कोर्ट का अंतिम फैसला इस बहुप्रतीक्षित भर्ती प्रक्रिया के भविष्य को तय करेगा, जिससे हजारों युवाओं की आशाएं जुड़ी हुई हैं।
