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जयपुर क्यों कहलाया 'पिंक सिटी'? वायरल डॉक्यूमेंट्री में देखे वो घटना जब एक राजा ने शाही मेहमान के स्वागत में पूरे शहर को रंग दिया गुलाबी

जयपुर क्यों कहलाया 'पिंक सिटी'? वायरल डॉक्यूमेंट्री में देखे वो घटना जब एक राजा ने शाही मेहमान के स्वागत में पूरे शहर को रंग दिया गुलाबी
 
जयपुर क्यों कहलाया 'पिंक सिटी'? वायरल डॉक्यूमेंट्री में देखे वो घटना जब एक राजा ने शाही मेहमान के स्वागत में पूरे शहर को रंग दिया गुलाबी

राजस्थान की राजधानी जयपुर को आज दुनियाभर में 'पिंक सिटी' के नाम से जाना जाता है। यहां की सड़कें, हवेलियां, किले और बाज़ार गुलाबी रंग में रंगे हुए दिखाई देते हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस शहर को गुलाबी रंग में रंगने के पीछे क्या वजह थी? क्या ये केवल एक सजावटी निर्णय था या इसके पीछे कोई ऐतिहासिक कहानी छिपी है? आइए जानते हैं जयपुर के 'पिंक सिटी' बनने की वो दिलचस्प दास्तान, जिसने इस शहर को विश्व धरोहर शहरों की सूची में जगह दिलाई।


जब जयपुर को मिला शाही मेहमान
19वीं सदी की शुरुआत में भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार हो रहा था। इसी दौरान 1876 में भारत भ्रमण पर आ रहे थे वेल्स के प्रिंस अल्बर्ट, जो बाद में किंग एडवर्ड सप्तम बने। उस समय जयपुर के महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय ने प्रिंस के स्वागत की तैयारियां शुरू कर दीं। वे चाहते थे कि मेहमान को ऐसा भव्य और शाही अनुभव मिले, जो पूरे भारत में कहीं और न हो।

क्यों चुना गया गुलाबी रंग?
गुलाबी रंग को भारत में मेहमाननवाज़ी और गर्मजोशी का प्रतीक माना जाता है। सवाई राम सिंह ने पूरे शहर को गुलाबी रंग में रंगवाने का फैसला किया ताकि यह शहर मेहमान के स्वागत में विशेष दिखे। इस आदेश के तहत शहर की सभी प्रमुख इमारतें, बाजार, द्वार और महलों को गुलाबी रंग से रंगा गया। प्राचीन काल में यह गुलाबी रंग चूने और लाल पत्थर के मिश्रण से तैयार किया गया था, जो आज भी शहर की पहचान बना हुआ है।

एक रंग और बन गई पहचान
इस आयोजन के बाद गुलाबी रंग इतना प्रसिद्ध हुआ कि जयपुर को हमेशा के लिए ‘पिंक सिटी’ कहा जाने लगा। बाद में महाराजा राम सिंह ने नगर योजना के तहत आदेश जारी किया कि शहर की ऐतिहासिक इमारतों और मुख्य बाजारों को हमेशा इसी रंग में बनाए रखा जाए। आज भी जयपुर के पुराने शहर में भवन निर्माण के दौरान इस नियम का पालन करना अनिवार्य है।

वास्तुकला और नियोजन में अनूठा शहर
जयपुर को 1727 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने बसाया था। यह भारत का पहला योजनाबद्ध शहर था जिसे वास्तु शास्त्र और शिल्प शास्त्र के सिद्धांतों पर बनाया गया था। शहर को नौ वर्गाकार हिस्सों में विभाजित किया गया था, जिनमें से दो भाग प्रशासनिक भवनों और महलों के लिए थे, जबकि शेष सात आम नागरिकों और व्यापारिक गतिविधियों के लिए निर्धारित थे।

पर्यटन की दृष्टि से वरदान
जयपुर का 'पिंक सिटी' होना न केवल इसकी ऐतिहासिक विरासत है, बल्कि यह पर्यटन की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण बन गया है। हर साल लाखों पर्यटक इस गुलाबी शहर को देखने आते हैं। हवा महल, सिटी पैलेस, जन्तर-मंतर, आमेर किला और नाहरगढ़ जैसे स्थान गुलाबी रंग के शहर में चार चांद लगा देते हैं। UNESCO ने 2019 में जयपुर को ‘विश्व धरोहर शहर’ का दर्जा भी प्रदान किया।

आधुनिकता और परंपरा का संगम
आज भले ही जयपुर आधुनिकता की ओर तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन 'पिंक सिटी' की पहचान को उसने संभाल कर रखा है। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत शहर में डिजिटल सुविधाएं जोड़ी जा रही हैं, लेकिन पुराने शहर की वास्तुकला और रंग योजना को छेड़ा नहीं गया है। यही जयपुर को अनोखा बनाता है—जहां बीते युग की भव्यता और आज के युग की सुविधा एक साथ मिलती है।

पिंक सिटी की भावना
पिंक सिटी केवल एक नाम नहीं है, यह एक भावना है। यह मेहमाननवाज़ी, अपनापन और सम्मान का रंग है। जब आप जयपुर की संकरी गलियों से गुजरते हैं, गुलाबी रंग की दीवारों के बीच चलते हैं, तो आपको शाही युग की झलक मिलती है। इस शहर की आत्मा आज भी उस समय के संस्कारों और आदरभाव से जुड़ी हुई है, जब एक राजा ने अपने मेहमान के स्वागत के लिए पूरे शहर को एक ही रंग में रंग दिया था।

जयपुर का 'पिंक सिटी' बनना केवल एक रंग से जुड़ी घटना नहीं है, यह इतिहास, परंपरा और संस्कृति का जीवंत उदाहरण है। यह उस समय की गवाही देता है जब एक राजा ने अपने अतिथि के स्वागत में संपूर्ण शहर को ही मेहमाननवाज़ी का प्रतीक बना दिया। आज भी जब आप जयपुर जाते हैं, तो वह गुलाबी रंग आपको उस ऐतिहासिक पल से जोड़ देता है, जब एक शहर ने अपने रंगों से दिलों को जीत लिया था।