आखिर चम्बल को क्यों माना जाता है सबसे खतरनाक नदी ? क्यों इसके किनारे जाने से भी डरते हैं लोग, वीडियो में देखे नदी का डरावना रूप
भारत में कई नदियां बहती हैं। इन नदियों में कई जानवर भी रहते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में एक नदी ऐसी भी है जिसे मगरमच्छों और घड़ियालों का घर कहा जाता है। जी हां, आप सही सुन रहे हैं। लोग इस नदी में जाने से कतराते हैं। कहा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति इस नदी के किनारे जाता है तो मगरमच्छ उसे अपना शिकार बना लेता है। दरअसल, इस नदी में सबसे ज्यादा मगरमच्छ और घड़ियाल पाए जाते हैं। आपको बता दें कि यह नदी देश के उस राज्य में स्थित है जो बाघ, चीता, तेंदुआ प्रदेश के लिए जाना जाता है। आइए आपको बताते हैं उस नदी का नाम।
साथ ही, हम आपको बताएंगे कि इस नदी को मगरमच्छों और घड़ियालों का घर क्यों कहा जाता है। चंबल नदी को मगरमच्छों का घर माना जाता है भारत में सबसे ज्यादा मगरमच्छ और घड़ियाल चंबल नदी में पाए जाते हैं और यह नदी मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से होकर गुजरती है। आपको बता दें कि स्थानीय लोग भी इस नदी के किनारे जाने से कतराते हैं। चंबल नदी की कुल लंबाई करीब 960 किलोमीटर है। हालांकि, यह नदी मध्य प्रदेश में 346 किलोमीटर की लंबाई में बहती है।
मप्र में 80 फीसदी से ज्यादा घड़ियाल
चंबल नदी में मगरमच्छ और घड़ियाल दोनों पाए जाते हैं। हालांकि, घड़ियालों की संख्या ज्यादा है। घड़ियालों और मगरमच्छों के संरक्षण के लिए यहां चंबल राष्ट्रीय अभयारण्य की स्थापना की गई है। आपको बता दें कि देश के 80 फीसदी से ज्यादा घड़ियाल मध्य प्रदेश में हैं। दरअसल, देशभर में 3044 घड़ियाल पाए जाते हैं, जिनमें से 2456 मध्य प्रदेश में हैं।
महाभारत में मिलता है चंबल नदी का जिक्र
चंबल नदी का जिक्र महाभारत में भी मिलता है। हालांकि, महाभारत में इस नदी का जिक्र चर्मवती के नाम से मिलता है, जो ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। चंबल नदी मध्य प्रदेश के इंदौर जिले के महू में स्थित जानापाव पहाड़ी से निकलती है। यह नदी उत्तर-पूर्व दिशा में बहती हुई राजस्थान में प्रवेश करती है और फिर उत्तर प्रदेश में इटावा के पास यमुना नदी में मिल जाती है।
चंबल नदी को माना जाता है शापित
चंबल नदी मध्य प्रदेश की प्रमुख और प्रमुख नदियों में से एक है, लेकिन प्रचलित मान्यताओं के कारण इस नदी को अपवित्र नदी कहा जाता है। चंबल को डाकुओं का इलाका माना जाता है, लेकिन अब यहां डाकू नहीं रहते, लेकिन लोग इस नदी को अपवित्र जरूर मानते हैं। इस नदी के बारे में कहा जाता है कि इस नदी की उत्पत्ति हजारों जानवरों के खून से हुई है। एक अन्य कहानी के अनुसार एक राजा रतिदेव ने हजारों जानवरों को मारकर उनका खून इस नदी में बहा दिया था। इस घटना के बाद से लोग इसे शापित मानने लगे।
