राधा मोहन दास अग्रवाल ने PM Modi से मुलाकात की फोटो पर वसुंधरा राजे को क्यों दी बधाई? जानें क्या है सियासी समीकरण
जयपुर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान के सियासी गलियारों में भाजपा प्रदेश प्रभारी राधा मोहन दास अग्रवाल के उस ट्वीट की खूब चर्चा हो रही है, जिसमें वे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को बधाईयां देते नजर आ रहे हैं. ये मौका दिल्ली में वसुंधरा राजे की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का था, जिस पर बीजेपी नेता की प्रतिक्रिया के कई मायने निकाले जा रहे हैं. हालांकि 16 दिन बाद उन्होंने खुद ही इस पर चुप्पी तोड़ दी है और बताया है कि उन्होंने ऐसा क्यों लिखा?
'बीजेपी का वो दौर खराब, जिसमें राजे की सक्रियता घटी'
भारत रफ्तार को दिए एक इंटरव्यू में राधा मोहन दास अग्रवाल ने कहा, 'मैं जब से राजस्थान आया हूं वसुंधरा राजे के साथ काम कर रहा हूं. मैं उन्हें राजस्थान की एक हैसियत और शख्सियत मानता हूं. मैं BJP के उस दौर को खराब मानता हूं, जिसमें उनकी सक्रियता कुछ घटी थी. लेकिन आज अगर वो वापस सक्रिय हैं तो यह हमारे लिए बहुत खुशी की बात है. इसीलिए मैंने उन्हें बधाई दी है. वसुंधरा राजे आगे भी राजस्थान की सियासत में सक्रिय बनी रहें इसके लिए मैंने उन्हें शुभकामनाएं दी हैं.'
'पार्टी के हर महत्वपूर्ण फैसले में इन्वॉल्व हैं वसुंधरा राजे'
एक अन्य इंटरव्यू में भाजपा प्रदेश प्रभारी अग्रवाल ने कहा था कि राजस्थान में वसुंधरा राजे की ही सरकार है. वर्तमान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर वसुंधरा राजे का पूरा आर्शीवाद है. वे आज भी पार्टी के हर महत्वपूर्ण फैसले में पूरी तरह से इन्वॉल्व हैं. अपने 10 साल के मुख्यमंत्री के कार्यकाल में राजे ने प्रशासनिक दृढ़ता और स्पष्टता के साथ काम किया है. वे आप भी हमारी राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं. सरकार में तो एक छोटे से कार्यकर्ता का भी दखल होता है. ऐसे में वसुंधरा राजे का सरकार में दखल ना हो, ये कैसे कहा जा सकता है.
दिल्ली दौरे पर क्यों गई थीं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे?
राजस्थान में इस वक्त मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं चल रही हैं. इसीलिए वसुंधरा राजे और भजनलाल शर्मा ने अलग-अलग दिल्ली जाकर पीएम मोदी से मुलाकात की है. ऐसे समय पर राधा मोहन दास अग्रवाल के बयान और ट्वीट यह संकेत दे रहे हैं कि भजनलाल कैबिनेट में वसुंधरा राजे गुट के नेताओं को भी जगह दी जा सकती है. हालांकि प्रदेश भाजपा प्रभारी का कहना है कि यह मुख्यमंत्री का डोमेन है. ये उनका फैसला है कि विस्तार होगा या नहीं होगा. अगर बदलाव होगा तो उसमें कौन-कौन शामिल होगा. राष्ट्रीय नेतृत्व के साथ बातचीत में जो भी फैसला होगा वो सभी को मंजूर होगा.