बिहार चुनाव आयोग का राजस्थान के पूर्व CM अशोक गहलोत ने क्यों बोला हमला ? बोले - 'किस दिशा में जा रहा है देश...'

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग की कार्यशैली और निष्पक्षता पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कांग्रेस नेताओं के साथ चुनाव आयोग के व्यवहार को 'अशोभनीय' और 'दुर्भाग्यपूर्ण' बताते हुए कहा कि देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था दबाव में काम कर रही है।
चुनाव आयोग पर लगाए गंभीर आरोप
समाचार एजेंसी से बात करते हुए गहलोत ने कहा कि यह देश किस दिशा में जा रहा है? चुनाव आयोग का व्यवहार अभूतपूर्व और निंदनीय है। मैं समझ नहीं पा रहा हूं कि किन शब्दों में इसकी आलोचना करूं। गहलोत ने जयपुर में कहा कि आजादी के बाद पहली बार चुनाव आयोग के अधिकारियों का ऐसा व्यवहार देखने को मिला है, जो न केवल अशोभनीय है, बल्कि लोकतंत्र के लिए भी चिंताजनक है।
उन्होंने कहा कि हमने कई बार चुनाव आयोग से मुलाकात की है और अपनी बात रखी है। संभव है कि उन्हें हमारी बातें पसंद न आई हों, लेकिन पहले उनका व्यवहार शालीन हुआ करता था। देश के हर नागरिक और राजनीतिक दल के प्रतिनिधि की बात धैर्यपूर्वक सुनना और निष्पक्ष निर्णय लेना उनकी जिम्मेदारी है। बिहार चुनाव के संदर्भ में उठ रहे सवालों का जिक्र करते हुए अशोक गहलोत ने कहा कि 25 दिन में 8 करोड़ मतदाताओं की सूची तैयार करना असंभव है। गहलोत ने इसे 'चुनाव आयोग का नया हथकंडा' करार देते हुए कहा कि पटना दौरे के दौरान उन्होंने वहां लोगों में इस मुद्दे पर काफी नाराजगी देखी। गहलोत ने कहा कि नई मतदाता सूची की प्रक्रिया निष्पक्ष चुनाव की संभावना पर सवाल उठा रही है।
गहलोत ने ड्राइवर की कहानी सुनाई
उन्होंने कहा कि मेरा ड्राइवर भी कह रहा था कि उससे जन्मतिथि का प्रमाण मांगा जा रहा है। इस प्रक्रिया से लाखों लोग वंचित हो सकते हैं। गहलोत ने सवाल उठाया कि जब नीतिगत फैसले लिए जाते हैं तो विपक्ष को विश्वास में क्यों नहीं लिया जाता? उन्होंने इसे एकतरफा फैसला बताते हुए लोकतंत्र के लिए खतरा बताया।
देश की संस्थाओं पर दबाव का आरोप
कांग्रेस नेता ने महाराष्ट्र चुनाव के दौरान राहुल गांधी द्वारा उठाए गए सवालों का भी जिक्र किया, जिनका चुनाव आयोग कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे पाया। गहलोत ने कहा कि चुनाव आयोग, ईडी, सीबीआई और आयकर जैसी संस्थाएं दबाव में काम कर रही हैं। ये संस्थाएं देश के लिए महत्वपूर्ण हैं, लेकिन इनका दुरुपयोग विपक्षी नेताओं को परेशान करने के लिए किया जा रहा है। पूर्व सीएम ने दावा किया कि आयकर और ईडी ने 193 मामले दर्ज किए, जिनमें से केवल 1 प्रतिशत ही साबित हो सके, जिससे विपक्षी नेताओं और उनके परिवारों को अनावश्यक परेशानी का सामना करना पड़ा। गहलोत ने चेतावनी दी कि अगर सत्ताधारी दल विपक्ष की आवाज को दबाता है, तो यह न केवल देश के लिए बल्कि खुद सत्ताधारी दल के लिए भी हानिकारक होगा। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र तभी मजबूत होता है जब विपक्ष की बात सुनी जाती है। अगर न्यायपालिका, नौकरशाही और स्वतंत्र संस्थाएं दबाव में काम करेंगी तो लोकतंत्र कमजोर होगा।