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"ऐसी क्या मजबूरी थी कि आपने अरावली माता को ही दांव पर लगा दिया?" टीकाराम जूली का केंद्रीय भूपेंद्र यादव से सवाल

"ऐसी क्या मजबूरी थी कि आपने अरावली माता को ही दांव पर लगा दिया?" टीकाराम जूली का केंद्रीय भूपेंद्र यादव से सवाल
 
"ऐसी क्या मजबूरी थी कि आपने अरावली माता को ही दांव पर लगा दिया?" टीकाराम जूली का केंद्रीय भूपेंद्र यादव से सवाल

राजस्थान में अरावली पहाड़ों को बचाने के लिए राजनीतिक लड़ाई तेज हो गई है। विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने BJP सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि अरावली पहाड़ हमारी मां हैं और वे उन्हें बचाने के लिए हर लड़ाई लड़ेंगे। कोई समझौता या समझौता नहीं होगा।

अलवर में जनजागरूकता अभियान शुरू
जूली ने ऐलान किया कि अरावली पहाड़ों को बचाने और उन्हें खत्म करने के खिलाफ जागरूकता फैलाने के लिए 27 दिसंबर को अलवर जिले में एक बड़ा अभियान शुरू किया जाएगा।

रिपोर्टर्स से बात करते हुए उन्होंने अपने पीछे की पहाड़ी की ओर इशारा किया। "एक तरफ अभी भी सुरक्षित है, लेकिन माइनिंग ने दूसरी तरफ को खत्म कर दिया है। इससे साफ पता चलता है कि बचाने से जीवन मिलता है, और बर्बादी से सिर्फ बर्बादी होती है।"

भूपेंद्र यादव का तीखा सवाल
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव को सीधी चुनौती देते हुए जूली ने पूछा, "यादवजी, ऐसी क्या मजबूरी आ गई कि आपने अरावली माता को खतरे में डाल दिया?" उन्होंने समझाया कि अरावली पहाड़ सिर्फ चट्टानों की एक रेंज नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति और धर्म की जान है।

जहां वह बोल रहे थे, उसके नीचे जगन्नाथ मंदिर और पास में एक पुरानी दरगाह है। आगे भर्तहरि पांडुपुल और नीलकंठ जैसे पवित्र स्थान हैं। अगर सरकार ऐसे ही फैसले लेती रही, तो ये धार्मिक स्थान भी खतरे में पड़ जाएंगे।

डेटा के साथ सफाई
जूली ने आंकड़ों का हवाला देकर सरकार की पॉलिसी पर हमला बोला। उन्होंने कहा, "आपने पहाड़ियों को टेप से नापकर उन्हें अरावली क्षेत्र से बाहर कर दिया। अब वहां बड़े पैमाने पर माइनिंग होने वाली है। सिर्फ 1 प्रतिशत पहाड़ियां 100 मीटर से ऊंची हैं, और बाकी 90 प्रतिशत इलाका माइनिंग कंपनियों को सौंपा जा रहा है। इससे आने वाले दिनों में लोगों की जान और पर्यावरण दोनों खतरे में पड़ जाएंगे।"

मंत्री ने सफाई दी: गलत फैसला
जूली ने यादव के अलग-अलग चैनलों पर दिए इंटरव्यू का जिक्र किया। उन्होंने कहा, "जब किसी मंत्री को अपनी पॉलिसी समझानी पड़े, तो समझिए कि फैसला कितना गलत है।" उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा, "चार दिन पहले मुख्यमंत्री ने कहा था कि अरावली क्षेत्र को कुछ नहीं होगा।"