JalMahal के निर्माण में पानी का क्या संबंध है? वीडियो में जानें इसके इतिहास के बारे में रोचक कहानी
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जल महल राजस्थान राज्य के राजधानी जयपुर में स्थित शहर की भीड़-भाड़ से दूर एक शानदार और शांत जल में स्थित महल है। मान सागर झील के बीच में स्थित होने की वजह से जल महल को एक वाटर पैलेस भी कहा जाता है। यह पैलेस कभी महाराजाओं के लिए शूटिंग लॉज था, जो आज दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। जल महल राजस्थान में गल और राजपूत शैली की वास्तुकला के मेल से बना हुआ सबसे सुंदर वास्तुशिल्प महलों में से एक है। पीछे की ओर नाहरगढ़ पहाड़ियों के साथ मान सागर झील बसा जल महल किसी को भी मंत्रमुग्ध कर सकता है। आपको बता दें कि इस किले के अंदर भले ही प्रवेश निषिद्ध है, लेकिन आपकी आंखों को खुश करने के लिए इसकी दूर से एक झलक ही काफी है।
अगर आप जयपुर की सैर करने के लिए आ रहे हैं तो आपको जल महल देखने के लिए जरुर जाना चाहिए क्योंकि यह एक ऐसी जगह है जो आपके अशांत मन को भी शांत कर सकती है। यह एक ऐसा वाटर पैलेस है जो एक अच्छी सेल्फी के लिए सही जगह है।
1. जल महल का इतिहास-
आपको बता दें कि जल महल का इतिहास काफी अस्पष्ट सा है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं कि क्योंकि आज तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि वास्तव में महल का निर्माण किसने करवाया था। ऐसा बताया जाता है कि जल महल या वाटर पैलेस का निर्माण वर्ष 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने बतख के शिकार के लिए एक लॉज के रूप में किया था। लेकिन इसके अलावा यह भी कहा जाता है कि जल महल का निर्माण महाराजा माधोसिंह प्रथम ने वर्ष 1750 में करवाया था। इस जगह को कभी भी महल में रूप में उपयोग करने के लिए नहीं बनाया था, लेकिन बाद में इस महल की सुंदरता को देखते हुए महाराजा जल सिंह द्वितीय द्वारा इसको बढ़ाया गया। जल सिंह द्वितीय ने इस महल का पुनर्निर्मित किया और इसमें कुछ आकर्षक संरचनाएं भी जोड़ीं। महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने मान सागर झील का निर्माण भी एक बांध बनाने से किया था।
2. जल महल की वास्तुकला
जल महल एक पांच मंजिला महल है, जो राजपूत वास्तुकला शैली से प्रेरित है। जल महल की पांच मंजिलों में एक चार मंजिलें पानी में डूबी हुई है और आप केवल इसकी पांचवी मंजिल ही देख सकते हैं। इस महल का निर्माण लाल बलुआ पत्थर से किया है और इसके कोने पर चार अष्टकोणीय आकार के छत्रियां स्थित हैं। इस महल को 18 वीं शताब्दी में महाराजा जल सिंह तीय द्वारा पुनर्निर्मित किया गया था जिसमें कुल इक्कीस सुंदर नक्काशीदार स्तंभ हैं। इस खूबसूरत महल की छत पर एक बगीचा है जिसे चमेली बाग कहते हैं। इस बाग के केंद्र में एक प्लेटफॉर्म है जिसका उपयोग नृत्य कलाकारों के लिए किया गया था। आपको बता दें कि इस महल में पर्यटकों को जाने की अनुमति नहीं है लेकिन आप दूर से ही इस महल की खूबसूरती का आनंद ले सकते हैं।
3. जल महल के दर्शनीय स्थल –
नाहरगढ़ पहाड़ियों के बीच स्थित और मान सागर झील में डूबा हुआ जल महल सूर्योदय और सूर्यास्त के समय काफी सुंदर दिखता है। आप बस इसके पास बैठकर यहां से कई खूबसूरत प्राकृतिक दृश्यों का आनंद ले सकते हैं।
4. जल महल के शॉपिंग
महल के पास जयपुर शहर की कई उत्तम हस्तशिल्प और आभूषण वस्तुओं की दुकानें स्थित हैं जहाँ से आप कुछ आकर्षक चीजों को खरीद सकते हैं। यहां आपको कुछ खादी की दुकानें भी मिल सकती हैं। अगर आप जयपुर घूमने जाते है तो बता दें कि यहां आप ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर ऊंट की सवारी भी कर सकते हैं।
5. जल महल पक्षी प्रेमियों का स्वर्ग
जल महल मान सागर झील के बीच स्थित एक ऐसी जगह है जो पक्षी-दर्शकों के लिए एक स्वर्ग के सामान है। यह जगह कई प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के लिए एक घर है जिनमें पिंटेल, पोचर्ड, केस्टेल, राजहंस, महान क्रेस्टेड ग्रीब के नाम शामिल हैं लेकिन दुर्भाग्य जब से झील की गुणवत्ता में गिरावट आई तो पक्षियों की संख्या में भी काफी गिरावट आई। हालांकि जीर्णोद्धार कार्य के बाद अब मान सागर झील पर कुछ पक्षी देखें जा सकते हैं।
7. जल महल समय और प्रवेश शुल्क
सरकार द्वारा संरक्षित क्षेत्र घोषित करने के बाद जल महल में आम जनता का प्रवेश बंद कर दिया गया है। महल के चारों ओर नाव की सवारी को भी रोक दिया गया है। हालांकि यह जगह आज भी प्रकृति के बीच शांतिपूर्ण समय बिताने के लिए एक बहुत खास जगह है। यहां एक ऐसा मार्ग है जो मान सागर झील को घेरे हुए है और यहां से पर्यटक जल महल देख सकते जिसके लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाता।
9. जल महल के पास रुकने की जगह –
अगर आप जल महल को देखने के लिए जा रहे हैं तो इसके आसपास रुकने की कोई अच्छी जगह देख रहे हैं तो बता दें कि जयपुर आपके लिए काफी कुछ विकल्प है। यहाँ के प्रमुख होटलों में अलसीसर हवेली, होटल महादेव विला, होटल ब्लू हेवन और फोर्ट चनाद्रगुप्त के नाम शामिल हैं।
8.जल महल के पास खाना
जल महल जयपुर के पास स्थित देखने की सबसे आकर्षक जगहों में से एक है। इसके साथ ही यहाँ पर आप कई तरह के स्वादिष्ट भोजन का स्वाद ले सकते हैं। यहाँ पर कई तरह के स्थानीय भोजन उपलब्ध है जिसको खा कर पर्यटक आनंदित हो जाते हैं। महाराजाओं और महारानियों द्वारा प्रभावित एक पारंपरिक राजस्थानी थाली में आप कई तरह के स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद ले सकते हैं। यहाँ के दाल बाटी चूरमा, इमरती और घेवर जैसी मिठाइयों और प्रसिद्ध चाट जैसे भव्य व्यंजनों को खाए बिना जयपुर की यात्रा अधूरी है। यहां की मिठाइयाँ बहुत लोकप्रिय हैं जिसमें घेवर, इमरती, हलवा, चोइर्मा, गजक, मूंग थाल और बहुत कुछ शामिल हैं। हालांकि शानदार भोजन के बढ़िया भोजन के लिए कई विकल्प हैं लेकिन आप जहां के जोहरी बाज़ार की उत्तम और स्थानीय स्ट्रीट फूड का मजा भी ले सकते हैं।
9. जल महल जाने का सबसे अच्छा समय
राजस्थान एक रेगिस्तानी राज्य है और यहाँ बहुत तेज गर्मी पड़ती है। यहां गर्मी अप्रैल से जून तक पड़ती है और इस समय मौसम काफी गर्म होता है। जल महल जाने का सबसे अच्छा समय वसंत ऋतु या फिर सर्दियों के महीनों के दौरान यानी सितंबर से मार्च तक होगा क्योंकि यह समय जयपुर शहर में छुट्टियों का आनंद लेने और यहाँ के विभिन्न स्थलों को घूमने के लिए काफी अच्छा है। इन महीनों में दिन बेहद अनुकूल होते हैं लेकिन रातें 4 ° C से कम ठंडी होती हैं। अगर आप इस समय जयपुर जा रहे हैं तो अपने साथ ऊनी कपड़े ले जाना ना भूलें। मानसून का मौसम यहाँ जुलाई से सितंबर तक होता है लेकिन जयपुर में मध्यम से कम बारिश होती है।
10. जल महल तक कैसे पहुंचे
जल महल जयपुर शहर के केंद्र से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। जहाँ आप शहर से ऑटो और टैक्सियों की मदद से आसानी से पहुँच सकते हैं। जयपुर शहर रेलवे, वायुमार्ग और रोडवेज से भारत के कई बड़े शहरों से अच्छी तरह कनेक्टेड है।
10.1 फ्लाइट से जल महल कैसे पहुंचे
अगर जल महल देखने के लिए जयपुर जा रहे हैं तो आपको बता दें कि हवाई जहाज द्वारा जयपुर की यात्रा करने के लिए अच्छा विकल्प है। सांगानेर हवाई अड्डा भारत के प्रमुख शहरों से नियमित रूप से चलने वाली कई एयरलाइनों से जुड़ा हुआ है। सांगानेर से जल महल की दूरी करीब 25 किलोमीटर है जिसके लिए किसी भी टैक्सी या कैब की मदद ले सकते हैं।
10.2 सड़क मार्ग से जल महल कैसे पहुंचे
जल महल के लिए आप सड़क मार्ग या बस से भी यात्रा कर सकते हैं क्योंकि राजस्थान राज्य सड़क परिवहन निगम (RSRTC) राजस्थान राज्य के भीतर जयपुर और प्रमुख शहरों के बीच कई लक्जरी और डीलक्स बसें चलाता है। आप जयपुर के लिए नई दिल्ली अहमदाबाद, उदयपुर, वडोदरा, कोटा और मुंबई जैसे शहरों से बस पकड़ सकते हैं।
10.3 ट्रेन से जल महल कैसे पहुंचे
अगर आप जल महल की यात्रा ट्रेन से करना चाहते हैं तो बता दें कि जयपुर रेलवे स्टेशन भारत के अन्य हिस्सों एक्सप्रेस ट्रेनों की मदद से जुड़ा हुआ है। जयपुर रेलवे स्टेशन से आप कैब या टैक्सी की मदद से जल महल तक पहुँच सकते हैं।
11. जलमहल के पास घूमने के 5 पर्यटक स्थल
नाहरगढ़ किला
नाहरगढ़ किला राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है, जो कई अनगिनत महलों और सुंदर ऐतिहासिक इमारतों में से एक है जो इस शहर के शानदार और समृद्ध इतिहास को बयां करती है। नाज़ुक़ नक्काशी और पत्थर के शानदार वर्क देखने को मिलता है, साथ ही नाहरगढ़ किला एक अभेद्य दुर्ग है जो आमेर किले और जयगढ़ किले के साथ मिलकर जयपुर शहर के मजबूत रक्षक के रूप में खड़ा है। जो भी पर्यटक जयपुर घूमने के लिए जाता है वो इस ऐतिहासिक किले को देखे बिना रह नहीं पाता है।
जयगढ़ किला
जयपुर के गुलाबी शहर में ‘चील का तेला’ पहाड़ियों के शीर्ष पर स्थित एक बहुत ही भव्य संरचना है। इस खूबसूरत इमारत को सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा 1726 में आमेर किले की सुरक्षा के लिए बनाया गया था। यह किला चट्टान के शीर्ष पर बँधा हुआ हरे भरे और विशाल जंगों से घिरी एक महलनुमा संरचना है। इस शानदार किले से आमेर किले तक एक भूमिगत मार्ग जाता है,और इसे “विजय का किला” के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ का मुख्या आकर्षण है यहाँ रखा दुनिया का सबसे बड़ा तोप जो दुनियाभर से पर्यटकों को अपनी और आकर्षित करता है।
अल्बर्ट हॉल संग्रहालय
जयपुर के राम निवास उद्यान में स्थित, अल्बर्ट हॉल संग्रहालय राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है। इंडो-सरैसेनिक वास्तुकला के एक आदर्श प्रतीक के रूप में खड़े, इस इमारत का नाम प्रिंस ऑफ व्हेल्स, अल्बर्ट एडवर्ड के नाम पर रखा गया है। इसे सरकारी केंद्रीय संग्रहालय भी कहा जाता है, इसमें दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से लाए गए कलाकृतियों का एक व्यापक संग्रह है।अगर आप इतिहास के शौक़ीन है तोह यहाँ ज़रूर आये।
आमेर किला
जयपुर का सबसे बड़ा किला आमेर किला है, जहां हर साल भारतीयों के अलावा विदेशी भी बड़ी संख्या में पहुंचते हैं। राजधानी जयपुर से केवल ग्यारह किलोमीटर दूर, आमेर किला गुलाबी और पीले बलुआ पत्थरों से निर्मित है। आमेर एक छोटा सा शहर है जिसका क्षेत्रफल मुश्किल से चार वर्ग किलोमीटर है, यह कभी राजस्थान की राजधानी के रूप में जाना जाता था और आज दुनिया भर से आने वाले पर्यटकों के लिए एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण है।
बिरला मंदिर
जयपुर में शानदार बिरला मंदिर एक हिंदू मंदिर है जो देश भर में स्थित कई बिरला मंदिरों में से एक का हिस्सा है। लक्ष्मी नारायण मंदिर, भगवान विष्णु (नारायण), संरक्षक और उनकी पत्नी लक्ष्मी, धन की देवी को समर्पित है। बिड़ला मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है, यह मंदिर मोती डूंगरी पहाड़ी पर स्थित है, जहां से भगवान अपने सभी भक्तों को देखते हैं।
