वीडियो में देखें धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व में पहली बार बाघ की साइटिंग, ग्रामीण ने मोबाइल में किया कैद
धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व में पहली बार बाघ की सीधी मौजूदगी देखी गई है। सोमवार को रिजर्व के झिरी क्षेत्र में बाघ टी-116 की साइटिंग हुई, जिसे एक ट्रैक्टर ड्राइवर ने अपने मोबाइल फोन में रिकॉर्ड कर लिया। यह घटना वन्यजीव प्रेमियों और वन विभाग के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है। धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व प्रदेश का पांचवां टाइगर रिजर्व है और यहां बाघ की पहली पुष्टि से संरक्षण प्रयासों को मजबूती मिली है।
जानकारी के अनुसार, झिरी क्षेत्र से गुजर रहे एक ट्रैक्टर ड्राइवर की नजर अचानक झाड़ियों में मौजूद बाघ पर पड़ी। बाघ को देखते ही ड्राइवर ने सूझबूझ दिखाते हुए तुरंत अपना ट्रैक्टर रोक दिया। इसके बाद उसने ट्रैक्टर पर बैठे-बैठे ही बाघ का वीडियो बना लिया। इस दौरान उसने सड़क मार्ग से गुजर रहे अन्य लोगों को भी सतर्क करते हुए वहां से आगे न जाने की चेतावनी दी, ताकि किसी तरह की अनहोनी न हो।
बाघ कुछ देर तक झाड़ियों में दिखाई देता रहा, जिसके बाद वह जंगल की ओर चला गया। घटना के बाद ट्रैक्टर ड्राइवर ने आसपास के ग्रामीणों को बाघ दिखने की जानकारी दी। सूचना मिलते ही वन विभाग और टाइगर रिजर्व प्रबंधन अलर्ट हो गया और इलाके में निगरानी बढ़ा दी गई।
टाइगर रिजर्व प्रबंधन के अनुसार, धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व में बाघों की मौजूदगी को लेकर लंबे समय से संकेत मिल रहे थे। अब तक यहां मुख्य रूप से बाघों के पगमार्क ही नजर आते थे, लेकिन किसी ग्रामीण या आम व्यक्ति द्वारा बाघ की सीधी साइटिंग पहली बार हुई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बाघ अब इस क्षेत्र में सक्रिय रूप से विचरण कर रहा है।
बाघों की ट्रैकिंग और निगरानी को और मजबूत करने के लिए टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने नए ट्रैक तैयार किए हैं। खुशालपुर की खोह और दमोह की खोह में तीन-तीन किलोमीटर लंबाई के दो ट्रैक बनाए गए हैं। इन ट्रैकों पर प्रतिदिन वनकर्मियों द्वारा ट्रैकिंग की जा रही है, ताकि बाघों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जा सके।
वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि बाघ की पहली साइटिंग से यह उम्मीद बढ़ी है कि आने वाले समय में धौलपुर-करौली टाइगर रिजर्व एक मजबूत बाघ आवास के रूप में विकसित होगा। साथ ही ग्रामीणों को भी सतर्क रहने और किसी भी तरह की बाघ की गतिविधि की सूचना तुरंत वन विभाग को देने की अपील की गई है। यह घटना प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों के लिए एक सकारात्मक संकेत मानी जा रही है।
