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वीडियो में देखे ताड़केश्वर मंदिर की अनोखी प्रथा! नंदी के कान में बोलने से पूरी होती है हर मनोकामना, भोलेनाथ तक पहुंचता है हर संदेश

वीडियो में देखे ताड़केश्वर मंदिर की अनोखी प्रथा! नंदी के कान में बोलने से पूरी होती है हर मनोकामना, भोलेनाथ तक पहुंचता है हर संदेश
 
वीडियो में देखे ताड़केश्वर मंदिर की अनोखी प्रथा! नंदी के कान में बोलने से पूरी होती है हर मनोकामना, भोलेनाथ तक पहुंचता है हर संदेश

सावन का महीना शुरू होते ही जयपुर के प्राचीन शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी है। खासकर चौड़ा रास्ता स्थित ताड़केश्वर महादेव मंदिर में सावन के पहले सोमवार से ही भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा। ताड़केश्वर महादेव मंदिर जितना भव्य है, उतना ही ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। इस मंदिर का निर्माण 16वीं शताब्दी में हुआ था, जब जयपुर शहर बसा भी नहीं था। मंदिर की वास्तुकला जयपुर की पारंपरिक वास्तुकला और स्थानीय संस्कृति को स्पष्ट रूप से दर्शाती है।

स्थानीय पुजारियों और ग्रामीणों के अनुसार, यह मंदिर उस स्थान पर बना है जहाँ पहले श्मशान हुआ करता था और ताड़ के पेड़ों की बहुतायत थी। मान्यता है कि यहीं से स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ था। इसी कारण इस मंदिर का नाम ताड़केश्वर महादेव पड़ा। मान्यता है कि मंदिर की स्थापना के समय से ही यहाँ भगवान शिव की अखंड ज्योति जल रही है। सावन के महीने में लाखों भक्त यहाँ आकर भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। मंदिर परिसर में भगवान गणेश और ठाकुरजी भी विराजमान हैं।

हर सोमवार को मंदिर को नई थीम पर सजाया जाता है

ताड़केश्वर महादेव मंदिर को पहले ताड़कनाथ के नाम से भी जाना जाता था। यह मंदिर जयपुरवासियों की आस्था का केंद्र है। सावन के पूरे महीने में मंदिर को अलग-अलग थीम पर सजाया जाता है। सावन के पहले सोमवार को मंदिर को आम और कच्चे आम की थीम पर सजाया गया। मंदिर के हर कोने में आम की माला और आम के आकार के दरवाजे सजाए गए। इन सजावटी वस्तुओं में हज़ारों किलो आम और कच्चे आम का इस्तेमाल किया गया। बाद में इन आमों को भक्तों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा। हर सोमवार को मंदिर को इसी तरह अलग-अलग थीम पर सजाया जाएगा, यही वजह है कि यह मंदिर सावन में सजावट के लिए भी काफी प्रसिद्ध है।

51 किलो घी से अभिषेक की है विशेष परंपरा
ताड़केश्वर महादेव मंदिर की सबसे खास बात यह है कि यहाँ भगवान शिव का दूध या जल से नहीं, बल्कि 51 किलो घी से अभिषेक किया जाता है। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है। भक्तों का मानना है कि जो कोई भी यहाँ घी से शिवलिंग का अभिषेक करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं। यही वजह है कि दूर-दूर से लोग इस अनोखे अभिषेक के लिए मंदिर पहुँचते हैं। मंदिर का वास्तुशिल्प जयपुर राज्य के मुख्य वास्तुकार विद्याधर जी ने तैयार किया था। मंदिर के प्रांगण में स्थित नंदी महाराज की भव्य पीतल की मूर्ति भी विशेष आकर्षण का केंद्र है। भक्त नंदी महाराज के कानों में अपनी समस्याएँ बताते हैं और मानते हैं कि नंदी उन्हें भगवान शिव तक पहुँचाते हैं। इसी मान्यता और परंपरा के कारण सावन के महीने में भक्तों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है।