वीडियो में देखें जयपुर के पॉश इलाके में निर्माणाधीन 5 मंजिला होटल धराशायी, क्रेन के सहारे रोका था
राजधानी जयपुर में निर्माणाधीन 5 मंजिला होटल को जेसीबी मशीनों की मदद से गिरा दिया गया। इस कार्रवाई से पहले बिल्डिंग की संरचना को कमजोर करने के लिए मशीनों से ड्रिलिंग की गई। होटल के मालिक जेडीए (जयपुर विकास प्राधिकरण) की इस कार्रवाई का विरोध करने मौके पर पहुंचे। इस दौरान उनके और पुलिस अधिकारियों के बीच तीखी बहस भी हुई।
होटल मालिकों ने आरोप लगाया कि इस कार्रवाई में पॉलिटिकल पावर का इस्तेमाल किया गया है। उनका कहना है कि किसी भी लीगल टीम ने मौके पर आकर उन्हें नोटिस या समझौता नहीं किया। मालिकों ने बताया कि उन्होंने नगर निगम से होटल निर्माण के लिए पूरी अनुमति ली थी और इसके लिए निगम में 1 लाख 25 हजार रुपए भी जमा कराए थे। इसके बावजूद अब बिल्डिंग को अवैध घोषित कर तोड़ा गया।
होटल मालिकों के अनुसार, उनके आर्किटेक्ट से भी किसी प्रकार की कोई चर्चा नहीं की गई। उन्होंने कहा कि पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता का अभाव रहा और कार्रवाई अचानक की गई। “हमने सभी नियमों का पालन किया था। हमारे पास पूरी दस्तावेजी कार्रवाई मौजूद है, फिर भी होटल को तोड़ दिया गया,” होटल मालिक ने कहा।
वहीं, जेडीए के जोन 1 के तहसीलदार शिवांग शर्मा ने बताया कि यह होटल रेजिडेंशियल क्षेत्र में बिना अनुमति कॉमर्शियल एक्टिविटी के लिए बनाया गया था। इस बिल्डिंग में बेसमेंट भी शामिल था, जो नियमों के विपरीत था। तहसीलदार ने कहा कि जेडीए की टीम ने सभी नियमों और कानूनी प्रक्रिया का पालन करते हुए कार्रवाई की।
जेडीए का कहना है कि रेजिडेंशियल क्षेत्र में किसी भी प्रकार की कॉमर्शियल गतिविधि के लिए विशेष अनुमति आवश्यक होती है। यदि ऐसा बिना अनुमति किया जाए तो बिल्डिंग को अवैध घोषित कर तोड़ने की कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। यह कदम क्षेत्रीय नियोजन और सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी था।
होटल के धराशायी होने से इलाके में हलचल मच गई। स्थानीय लोग और होटल के कर्मचारी भी मौके पर पहुंचे और कार्रवाई को लेकर असंतोष जताया। इस घटना से निर्माण और भूमि उपयोग की नियमावली पर सवाल भी उठे हैं।
शहर में बढ़ती निर्माण गतिविधियों के बीच नियामक संस्थाओं की कार्रवाई अहम है। रेजिडेंशियल और कॉमर्शियल क्षेत्र की स्पष्ट अलगाव और नियमों का पालन सुनिश्चित करने के लिए ऐसी कार्रवाई कभी-कभी अनिवार्य हो जाती है।
हालांकि, होटल मालिकों ने कहा कि अगर उन्हें पहले सूचना दी जाती और उनके दस्तावेजों की समीक्षा की जाती, तो विवाद को सुलझाया जा सकता था। उन्होंने आगे कहा कि वह न्यायालय में इस कार्रवाई के खिलाफ अपील करने का विचार कर रहे हैं।
जयपुर में यह मामला निर्माण नियमों और कानूनी प्रक्रिया के अनुपालन के बीच संतुलन की आवश्यकता को उजागर करता है। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे मामलों में दोनों पक्षों की सुनवाई और पारदर्शी कार्रवाई जरूरी है, ताकि भविष्य में इसी तरह के विवादों से बचा जा सके।
