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वीडियो में देखें तीन गांवों की प्यास बुझाने वाला नायक, हर मौसम में रोज 1 किलोमीटर की नदी पार करते है नंदाराम

वीडियो में देखें तीन गांवों की प्यास बुझाने वाला नायक, हर मौसम में रोज 1 किलोमीटर की नदी पार करते है नंदाराम
 
वीडियो में देखें तीन गांवों की प्यास बुझाने वाला नायक, हर मौसम में रोज 1 किलोमीटर की नदी पार करते है नंदाराम

राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की मांडल तहसील के पीथास गांव में रहने वाले 50 वर्षीय नंदाराम की दिनचर्या आम लोगों से बिल्कुल अलग है। उनके लिए न तो कड़ाके की सर्दी मायने रखती है, न चिलचिलाती गर्मी और न ही बरसात का मौसम। हर दिन, हर हाल में नंदाराम को कमर भर पानी में उतरना ही पड़ता है। यह कोई मजबूरी नहीं, बल्कि जिम्मेदारी है—तीन गांवों की प्यास बुझाने की जिम्मेदारी।

अगर नंदाराम एक दिन भी इस तरह पानी में उतरकर अपना काम न करें, तो पीथास, मालाखेड़ा और स्कूल का खेड़ा गांवों के लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस जाएंगे। हजारों लोगों की रोजमर्रा की जरूरतें नंदाराम की मेहनत पर निर्भर हैं। इस पूरे मामले को समझने के लिए मांडल तहसील के पीथास गांव तक पहुंचना जरूरी है।

दरअसल, जलदाय विभाग का वाटर वर्क्स मेजा बांध के पेटा क्षेत्र में स्थित है। यहीं पर एक मोटर लगाई गई है, जिसके जरिए पीथास, मालाखेड़ा और स्कूल का खेड़ा गांवों में पानी की सप्लाई होती है। पीथास गांव की आबादी करीब 3 हजार है, मालाखेड़ा में लगभग 800 लोग रहते हैं, जबकि स्कूल का खेड़ा गांव में करीब 1 हजार की जनसंख्या है। इन सभी गांवों के लिए यही एक प्रमुख जल स्रोत है।

समस्या यह है कि जहां मोटर लगी हुई है, वह स्थान चारों ओर से कोठारी नदी के पानी से घिरा रहता है। खासकर बरसात के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और रास्ता और भी मुश्किल हो जाता है। बावजूद इसके नंदाराम रोज नदी के बीच से होकर पैदल चलते हुए मोटर वाले कमरे तक पहुंचते हैं। वहां पहुंचकर वे मोटर का स्विच ऑन करते हैं और करीब दो घंटे तक उसे चालू रखते हैं।

इन दो घंटों के दौरान नंदाराम को वहीं रुकना पड़ता है। इस दौरान अगर बिजली के फ्यूज में कोई खराबी आ जाए या तकनीकी समस्या उत्पन्न हो जाए, तो उसे ठीक करने की जिम्मेदारी भी नंदाराम की ही होती है। कई बार तेज बहाव, फिसलन और ठंडे पानी के कारण उन्हें खतरे का सामना भी करना पड़ता है, लेकिन गांववालों की प्यास के आगे उन्हें अपनी परेशानी छोटी लगती है।

स्थानीय ग्रामीण नंदाराम को किसी नायक से कम नहीं मानते। उनका कहना है कि नंदाराम की मेहनत और ईमानदारी की वजह से ही तीन गांवों में नियमित पानी पहुंच पाता है। हालांकि, ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का यह भी कहना है कि प्रशासन को इस व्यवस्था को और सुरक्षित व आधुनिक बनाना चाहिए, ताकि नंदाराम को हर दिन जान जोखिम में डालकर काम न करना पड़े।