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अजमेर में भावुक हुईं वसुंधरा राजे, बोली “पद मेरा नहीं, जनता का है… जीत-हार नहीं, सेवा ही मेरी राजनीति

अजमेर में भावुक हुईं वसुंधरा राजे, बोली “पद मेरा नहीं, जनता का है… जीत-हार नहीं, सेवा ही मेरी राजनीति
 
अजमेर में भावुक हुईं वसुंधरा राजे, बोली “पद मेरा नहीं, जनता का है… जीत-हार नहीं, सेवा ही मेरी राजनीति

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे गुरुवार रात उदयपुर से जयपुर लौटते समय अचानक अजमेर में रुकीं। एक लोकल प्राइवेट टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में उन्होंने कई इमोशनल और पॉलिटिकल बातें कहीं। राजे ने कहा, "मैंने इस पोस्ट को कभी अपना नहीं माना। यह मेरा नहीं है, यह लोगों का है। जब तक लोग मुझे परिवार का सदस्य मानते रहेंगे, मैं उनके बीच ही रहूंगी।"

"मैं कितनी खुशकिस्मत हूं"

उन्होंने आगे कहा, "यह रिश्ता रातों-रात नहीं बना, बल्कि 20 साल से ज़्यादा समय में और मज़बूत हुआ है। लोग दूर-दूर से मुझसे मिलने आते हैं, राम-राम कहते हैं और मेरे गाल चूमते हैं। यह प्यार हर किसी को नहीं मिलता। मैं कितनी खुशकिस्मत हूं।"

"जीत या हार के लिए नहीं, बल्कि लोगों की भलाई के लिए"

राजे ने अपनी पॉलिटिक्स को सेवा से जोड़ते हुए कहा, "मेरी पॉलिटिक्स जीत या हार पर आधारित नहीं है, बल्कि लोगों की भलाई पर आधारित है। मैं बजट को वैसे ही देखती हूं जैसे घर की महिला पैसे के मामले संभालती है। आपके पास जो पैसा है, उसे लोगों पर खर्च करें, तभी सब कुछ चलेगा।" उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा साफ-सुथरी पॉलिसी छोड़ी हैं, ताकि बाद में लोग समझें कि वे लोगों के लिए हैं।

'जो लोग दो लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करके फायदा उठाते हैं, उन्हें भगवान का साथ नहीं मिलता।'

राजे ने कहा, 'अगर कोई दो लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा करके फायदा उठाना चाहता है, तो वह फायदा टेम्पररी होता है। भगवान भी उनका साथ नहीं देते। लंबे समय में, सिर्फ प्यार ही रिश्ते को बनाए रखता है।' उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने सब कुछ भगवान पर छोड़ दिया है और लोगों का प्यार ही उनकी ढाल है।

'मुझे नहीं पता कि 20,000 करोड़ में कितने ज़ीरो होते हैं।'

इंटरव्यू में पुराने आरोपों का जिक्र करते हुए राजे ने कहा, 'मुझे याद है जब मैं पहली बार अजमेर आई थी, तो विपक्ष ने मुझ पर 20,000 करोड़ के गबन का आरोप लगाया था। मैंने तब कहा था कि मुझे नहीं पता कि इसमें कितने ज़ीरो हैं।'