सीकर सेवा शिविर में हंगामा, एक्सक्लुसीव फुटेज में देखें मंत्री संजय शर्मा ने कलेक्टर को लगाई फटकार, नाराज होकर जयपुर रवाना
सीकर जिले में आयोजित सेवा शिविर उस समय विवादों में आ गया, जब प्रभारी मंत्री एवं वन मंत्री संजय शर्मा और जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। मामला इतना बढ़ गया कि मंत्री संजय शर्मा नाराज होकर बीच कार्यक्रम से ही जयपुर के लिए रवाना हो गए। मंत्री और कलेक्टर के बीच हुई बातचीत का वीडियो भी सामने आया है, जो अब सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बना हुआ है।
घटना मंगलवार दोपहर करीब 2 बजे की है, जब प्रभारी मंत्री संजय शर्मा अचानक सीकर के सेवा शिविर का निरीक्षण करने पहुंचे। इससे पहले वह सुबह शहरी सेवा शिविर में भी पहुंचे थे। वहां पहुंचते ही मंत्री को शिविर में अव्यवस्थाएं नजर आईं। कई कर्मचारियों की कुर्सियां खाली पड़ी थीं, जिसे देखकर मंत्री संजय शर्मा भड़क गए। उन्होंने इसे सरकारी कार्यों के प्रति लापरवाही करार दिया।
निरीक्षण के दौरान प्रभारी मंत्री ने शिविर में चल रहे कार्यों और योजनाओं की जानकारी आरओ महेश योगी से मांगी। जब आरओ ने मोबाइल फोन में सूची दिखाकर जानकारी देने की कोशिश की, तो मंत्री और अधिक नाराज हो गए। मंत्री का कहना था कि जनता की समस्याओं का समाधान कागजों या मोबाइल में नहीं, बल्कि मौके पर होना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि सेवा शिविर जनता की सुविधा के लिए लगाए जाते हैं, न कि औपचारिकता निभाने के लिए।
इसी दौरान जब जिला कलेक्टर मुकुल शर्मा नगर परिषद और संबंधित अधिकारियों के पक्ष में बोलते नजर आए, तो प्रभारी मंत्री और ज्यादा आक्रोशित हो गए। मंत्री संजय शर्मा ने कलेक्टर से कहा, “इन चोरों को प्रोटेक्शन देने की जरूरत नहीं है कलेक्टर साहब।” इसके बाद माहौल और तनावपूर्ण हो गया। मंत्री ने कलेक्टर को सख्त लहजे में फटकार लगाते हुए कहा, “कलेक्टर साहब, आपकी मर्जी हो उस तरह से इस सीकर जिले को और यहां के सेवा शिविरों को चलाइए, मैं जा रहा हूं।”
इसके बाद प्रभारी मंत्री संजय शर्मा बिना कार्यक्रम पूरा किए ही जयपुर के लिए रवाना हो गए। मंत्री के इस अचानक रवैये से प्रशासनिक महकमे में हड़कंप मच गया। वहीं, कार्यक्रम में मौजूद अधिकारी और कर्मचारी असहज स्थिति में नजर आए। घटना के बाद जिला प्रशासन और नगर परिषद के अधिकारियों में भी खलबली मची हुई है।
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो सामने आने के बाद राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं। विपक्ष ने इस मुद्दे को लेकर सरकार और प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं, जबकि कुछ लोग इसे प्रशासनिक अनुशासन और जवाबदेही से जोड़कर देख रहे हैं।
फिलहाल इस मामले में जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सेवा शिविरों की व्यवस्थाओं को लेकर अब जिला स्तर पर समीक्षा की जा सकती है। यह घटना एक बार फिर यह सवाल खड़ा करती है कि जनसेवा के नाम पर लगाए जाने वाले शिविरों में वास्तव में जनता को कितनी सुविधाएं मिल पा रही हैं।
