जवाहर कला केंद्र में दो दिवसीय मधुरम महोत्सव का आगाज, देखें वीडियो
जयपुर न्यूज़ डेस्क, जवाहर कला केंद्र के रंगायन सभागार में गायन और वादन के दो दिवसीय महोत्सव मधुरम का शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के प्रथम दिन जितेंद्र राणा ने उप शास्त्रीय गायन व डॉ. राजर्षि कसौधन और रोशनी केशरी ने उप शास्त्रीय, शास्त्रीय और सुगम संगीत के सौंदर्य से सराबोर प्रस्तुति से समां बांधा। महोत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को विभिन्न बॉलीवुड सॉन्ग्स में अपनी सारंगी की धुन का जादू दिखाने वाले मोमिन खान एकल वादन प्रस्तुति देंगे, उनके साथ प्रसिद्ध तबला वादन सत्यजीत तलवलकर संगत करेंगे।
जितेंद्र राणा ने राग खमाज को अपनी प्रस्तुति का आधार बनाया। उन्होंने विलंबित लय में निबद्ध ठुमरी 'सांची कहो मोसे कहां बितायी रतिया' के साथ प्रस्तुति की शुरुआत की। राग शंकरा पर 'ऐसो ढीठ लंगर' गाकर उन्होंने प्रस्तुति को आगे बढ़ाया। अंत में कबीर भजन के साथ उन्होंने माहौल को आध्यात्मिक भावनाओं से भर दिया। जितेंद्र राणा के साथ तबले पर सलामत खान, सारंगी पर साबिर खान, हार्मोनियम पर भंवर नागौरी और तानपुरे पर सौम्या व तान्या ने संगत की।दूसरी प्रस्तुति में डॉ. राजर्षि कसौधन एवं रोशनी केशरी ने शास्त्रीय संगीत, उपशास्त्रीय संगीत, सुगम संगीत की रचनाएं पेश की। डॉ. राजर्षि कसौधन ने राग यमन में जयपुर घराने की बंदिश को तीन ताल में निबद्ध कर श्रोताओं के कानों में मिठास घोली। इसके बाद बांसुरी पर धुन छेड़कर गजलों का गुलदस्ता सजाया।
राजर्षि कसौधन ने बांसुरी पर 'होंठो से छू लो तुम, मेरा गीत अमर कर दो' की धुन का वादन कर शुरुआत की। गजलों का यह सुरीला सफर आगे बढ़ा 'चिट्ठी न कोई संदेश', 'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो', 'तुमको देखा तो ये खयाल आया' सरीखी ग़ज़लों की धुनों के साथ। इसके बाद रोशनी केशरी ने बनारस घराने की ठुमरी 'बरसन लागी बदरिया' का गायन किया। इसके बाद सुगम संगीत की प्रस्तुति में 'जिंदगी के सफर में गुजर जाते हैं जो मुकाम' गीत पेश किया गया।इस संगीतमयी महफिल में 'सादगी तो हमारी जरा देखिए' कव्वाली भी श्रोताओं को सुनने को मिली। आखिर में बनारसी ठुमरी और बांसुरी की धुनों के साथ इस सुरीली शाम का समापन हुआ। तबले पर ऋषि शर्मा और की-बोर्ड पर पीयूष कुमार ने संगत की।