बालमुकुंद आचार्य पर FIR के बाद गरमाई राजस्थान की सियासत, टीकाराम जूली ने मुख्यमंत्री से की ये अपील
राजस्थान की राजधानी जयपुर के जोहरी बाजार में शुक्रवार रात पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान पैदा हुआ तनाव भले ही सुबह तक सामान्य हो गया हो, लेकिन अब इसने राजनीतिक रंग लेना शुरू कर दिया है। विपक्षी नेता इसे मुद्दा बनाकर सीएम भजनलाल शर्मा से मामले में हस्तक्षेप कर भाजपा विधायक के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं।
'सीएम विधायकों पर लगाम लगाएं'
राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने शनिवार सुबह मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, 'पहलगाम आतंकी हमले के बाद से पूरा देश शोक में है और हर भारतीय कार्रवाई की मांग कर रहा है। ऐसी घटनाएं बार-बार होती हैं और हमारे जवान और लोग बिना किसी कारण के मारे जाते हैं। जनता और विपक्ष ने सरकार के हर फैसले का समर्थन करने का वादा किया है। फिर भी विधायक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा इस तरह के कृत्य के लिए कौन जिम्मेदार होना चाहिए? मैं मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वे विधायकों पर लगाम लगाएं, ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों और आपसी भाईचारा बना रहे।'
'अगर बालमुकुंद दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए'
इस बीच, कांग्रेस विधायक रफीक खान ने कहा, 'कल शुक्रवार था और जामा मस्जिद में जुमे की नमाज थी। मैं एक अन्य विधायक के साथ वहां था। वहां हमने पहलगाम हमले के पीड़ितों के लिए प्रार्थना की और संवेदना व्यक्त की। लेकिन मुझे रात में जामा मस्जिद में विरोध प्रदर्शन के बारे में पता चला। हम हर धार्मिक स्थल के प्रोटोकॉल का पालन करते हैं, फिर कोई व्यक्ति मस्जिद में चप्पल पहनकर कैसे जा सकता है? जयपुर में हर धर्म और जाति के लोग इसका विरोध कर रहे थे। बालमुकुंद आचार्य जैसे व्यक्ति को विधायक होने का अधिकार नहीं है। हमें कानून और पुलिस पर भरोसा है और मैं सीएम से अपील करता हूं कि वे जांच करवाएं और अगर विधायक दोषी पाए जाते हैं तो उन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।'
जयपुर जामा मस्जिद के बाहर क्यों हुआ विवाद?
शुक्रवार रात बड़ी चौपड़ के पास पहलगाम आतंकी हमले के विरोध में एक विरोध रैली निकाली जा रही थी। अधिकारियों के अनुसार, तनाव तब शुरू हुआ जब हवामहल विधायक बालमुकुंदाचार्य ने जामा मस्जिद के बाहर और आसपास के इलाकों (बड़ी चौपड़ के पास फुटपाथ, रामगंज बाजार और सार्वजनिक शौचालय) में कथित तौर पर पोस्टर चिपकाए। कथित तौर पर विवादित पोस्टरों पर संदेश लिखा था, "कौन कहता है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता?" पोस्टर में दाढ़ी वाला एक व्यक्ति भी दिखाया गया था। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए और सांप्रदायिक नारे लगाने लगे। इससे तनाव बढ़ गया।
पुलिस ने मोर्चा संभाला, कमिश्नर भी पहुंचे
पोस्टर चिपकाने के बाद विधायक मौके से चले गए, जिसके बाद बड़ी संख्या में लोग एकत्र हो गए और उनकी गिरफ्तारी की मांग करने लगे। लोगों ने आरोप लगाया कि धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए जानबूझकर ऐसा किया गया है। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए बढ़ते तनाव को नियंत्रित करने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया। पुलिस कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसेफ और अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर रामेश्वर सिंह समेत वरिष्ठ अधिकारी स्थिति को संभालने के लिए मौके पर पहुंचे।
एफआईआर दर्ज होने के बाद भीड़ तितर-बितर हुई
जामा मस्जिद कमेटी ने विधायक बालमुकुंद आचार्य के खिलाफ माणकचौक थाने में एफआईआर दर्ज कराई, जिसमें उन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया गया। एफआईआर दर्ज होने की खबर के बाद एकत्र भीड़ धीरे-धीरे तितर-बितर हो गई। इस बीच कांग्रेस विधायक रफीक खान और अमीन कागजी भी पुलिस कमिश्नरेट पहुंच गए। मस्जिद से लोगों से घर लौटने की अपील की गई और उन्हें भरोसा दिलाया गया कि एफआईआर दर्ज हो गई है। हालांकि, कई लोग बालमुकुंद आचार्य की तत्काल गिरफ्तारी की मांग पर अड़े रहे और शनिवार तक कार्रवाई नहीं होने पर मौके पर ही दोपहर की नमाज अदा करने की धमकी दी।
एफआईआर पर बालमुकुंद आचार्य ने क्या कहा?
इस पूरे मामले पर विधायक बालमुकुंद आचार्य ने कहा, 'पोस्टरों पर सिर्फ पाकिस्तान और आतंकवाद के खिलाफ संदेश थे। किसी की धार्मिक भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचाई गई। पोस्टर बड़ी चौपड़ गणेश मंदिर और सुलभ शौचालय के पास समेत कई जगहों पर लगाए गए थे। जो लोग पाकिस्तान को नापसंद करते हैं, वे स्टिकर पर जूते से पैर रखकर अपनी भावनाएं दिखा सकते हैं, जबकि जो लोग ऐसा नहीं सोचते, वे उन्हें हटाने के लिए स्वतंत्र हैं।'
