जयपुर में सड़कों पर उतरे हजारों किसान, फसल नुकसान और जमीन अधिग्रहण पर सरकार को चेतावनी
किसानों ने अपनी मांगों को लेकर मंगलवार को राजस्थान की राजधानी में ज़ोरदार विरोध प्रदर्शन किया। अलग-अलग ज़िलों से सैकड़ों किसान 22 गोदाम सर्किल पर इकट्ठा हुए और "हुंकार रैली" निकाली।
वे अपनी समस्याओं को लेकर लंबे समय से सरकार और मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा को चिट्ठियां भेज रहे थे, लेकिन कोई जवाब न मिलने पर उन्होंने बड़ा आंदोलन शुरू कर दिया। यह महापंचायत किसानों की मज़बूत एकजुटता दिखाती है, जो सरकार तक अपनी आवाज़ पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं।
फ़सलों से लेकर रोज़गार तक
किसानों की मुख्य मांगों में उनकी फ़सलों का सही दाम, किसानों के अधिकारों की सुरक्षा, फ़सल बीमा में बदलाव और युवाओं के लिए रोज़गार पैदा करना शामिल है। उन्होंने कहा कि ज़्यादा बारिश से फ़सलों को बहुत नुकसान हुआ है और उन्हें प्रधानमंत्री बीमा योजना के तहत तुरंत मुआवज़ा मिलना चाहिए।
जिन किसानों को प्रीमियम मिल चुका है, उन्हें उनके क्लेम तुरंत दिए जाने चाहिए। उन्होंने यह भी मांग की कि खेती की ज़मीन को बर्बाद होने से रोका जाए क्योंकि देश की फ़ूड सिक्योरिटी इसी पर निर्भर करती है। उन्होंने एक्सप्रेसवे बनाने के नाम पर खेती की ज़मीन पर कब्ज़ा करने पर भी रोक लगाने की गुज़ारिश की, ताकि उनकी ज़मीन सुरक्षित रहे और खेती जारी रह सके।
पुलिस की मनाने और बातचीत की कोशिश
जब किसान मुख्यमंत्री के घर की तरफ बढ़ने लगे, तो पुलिस ने उन्हें रोका और मनाने की कोशिश की। इसके बाद, 11 किसान नेताओं को किसान सेक्रेटेरिएट ले जाया गया और अधिकारियों से बातचीत की। रामपाल जाट जैसे नेताओं ने साफ कहा कि वे पिछले छह महीने से इन मांगों को लेकर लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार ने कोई एक्शन नहीं लिया है।
उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि उसने सिर्फ कागजों पर वादे किए और उनका कोई असली नतीजा नहीं निकला। किसानों ने कहा कि जब खेती को बचाना, युवाओं को रोजगार देना और फसलों को बचाना ज़रूरी था, तब सरकार चुपचाप बैठी थी, कानूनों का उल्लंघन कर रही थी।
प्रोटेस्ट जारी रखने का ऐलान
किसानों ने चेतावनी दी कि अगर उनकी मांगों पर ठीक से ध्यान नहीं दिया गया तो वे अपना प्रोटेस्ट जारी रखेंगे। यह प्रोटेस्ट न सिर्फ राजस्थान के किसानों की दर्दनाक कहानी बताता है बल्कि सरकार को जागरूकता का मैसेज भी देता है।
हजारों की भीड़ ने सड़कें जाम कर दीं और अपनी मिली-जुली ताकत दिखाई। देखना होगा कि सरकार इन मांगों पर क्या एक्शन लेती है, या किसान अपनी लड़ाई और ज़ोर-शोर से जारी रखेंगे।
