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इस बार आषाढ़ कृष्ण पक्ष 15 दिन का नहीं बल्कि 13 दिन का होगा, बन रहा है ये संयोग, जानें

 
इस बार आषाढ़ कृष्ण पक्ष 15 दिन का नहीं बल्कि 13 दिन का होगा, बन रहा है ये संयोग, जानें 

जयपुर न्यूज़ डेस्क, जून के आखिरी सप्ताह में तिथियों के क्षय होने से आषाढ़ कृष्ण पक्ष 15 की बजाय 13 ही दिन का रहेगा। ज्योतिषविदों के मुताबिक 23 जून से 5 जुलाई के बीच दो तिथियां क्षय होने से यह स्थिति बनेगी। दरअसल आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा और आषाढ कृष्ण चतुर्दशी तिथि का क्षय होगा। जब-जब ऐसा संयोग आता है देश-दुनिया में आपदा, युद्ध या अप्रत्याशित घटनाओं के होने की आशंका रहती है। महाभारत युद्ध भी इन तेरह दिनों के संयोग में होना बताया जाता है।

ऐसे समझें

ज्योतिषाचार्य पं.दामोदर प्रसाद शर्मा के मुताबिक, विक्रम संवत 2081 में आषाढ़ कृष्ण पक्ष 13 दिनों का होगा। सामान्य रूप से प्रत्येक माह में दो पक्ष होते हैं। प्रत्येक पक्ष में 15 अथवा 14 तिथियों का मान रहता है, परंतु कभी देव योगवश तिथि गणित क्रिया द्वारा दो तिथियों का क्षय वश 13 रह जाती है। ऐसा इस वर्ष सूर्य और चंद्र की गति के कारण संयोग बन रहा है। कहा भी गया है कि, अनेक युग सहस्त्रयां चैवयोत्पजायते, त्रयोदश दिने पक्ष स्तदा संहरते जगत्। इसका अर्थ है देव योग से कई एक युगों में 13 दिन का पक्ष आता है। प्रजा को नुकसान, रोग, महंगाई व प्राकृतिक प्रकोप, झगड़ों का सामना करना पड़ सकता है। शर्मा ने बताया कि 31 साल पहले वर्ष 1993 में भी आषाढ माह के शुक्ल पक्ष में भी ऐसी स्थिति बनी थी। तब 13 दिन का शुक्ल पक्ष था।

पं.घनश्याम लाल स्वर्णकार ने बताया कि ऐसा पहला संयोग द्वापर युग में बना था जब कौरव-पांडव युद्ध हुआ। द्वापर युग के महाभारत काल में 13 दिन के पक्ष में यह पहला दुर्योग काल निर्मित हुआ था। इस दौरान कौरव व पांडवों के बीच भीषण युद्ध हुआ तथा अपार जनहानि हुई। ये समय श्राद्ध पक्ष की तरह अशुभ है। महाभारत सहित कई बड़े युद्ध ऐसे ही 13 दिन में हुए हैं। र्वा 1937 में विनाशकारी भूकंप आया था। वर्ष 1962 में भारत-चीन युद्ध हुआ। तब भी एक पक्ष 13 दिन का था। वर्ष 1999 के 13 दिन पक्ष में ही करगिल युद्ध हुआ था। ऐसे पक्ष में विवाह, उपनयन संस्कार, गृह प्रवेश, नवीन कार्य आरंभ आदि मांगलिक कार्य नहीं करने चाहिए।