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प्रधानमंत्री की ये खास योजना किसानो के लिए नहीं किसी वरदान से कम, खेत में नुकसान होने पर करेगी पाई-पाई का भुगतान

 
प्रधानमंत्री की ये खास योजना किसानो के लिए नहीं किसी वरदान से कम, खेत में नुकसान होने पर करेगी पाई-पाई का भुगतान 

राजस्थान के कई जिलों में पिछले दिनों हुई बारिश, ओलावृष्टि और तेज आंधी के कारण किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। कई जगहों पर तो कटाई के बाद पूरी फसल बारिश के कारण भीग गई। ऐसे में अब किसान प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मुआवजे की उम्मीद लगाए बैठे हैं। इस योजना के तहत प्राकृतिक आपदाओं से फसल को हुए नुकसान की भरपाई की जाती है। वर्तमान में अचानक मौसम में आए बदलाव, चक्रवात, ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश जैसी आपदाओं के कारण किसानों की फसलों को नुकसान हुआ है। ऐसे में यह योजना किसानों के लिए सुरक्षा कवच का काम कर रही है।

सहकारिता विभाग के अधिकारी बजरंग सिंह ने बताया कि जिन किसानों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है और उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का प्रीमियम जमा करा दिया है, वे इस योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि अगर किसान की बीमित फसल को नुकसान होता है तो उसे 72 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करानी होगी। शिकायत दर्ज कराने के लिए किसान टोल फ्री नंबर 14447 पर कॉल कर आवेदन पत्र जिला कृषि विभाग कार्यालय या उप कृषि निदेशक कार्यालय में जमा करा सकते हैं। इससे बीमा कंपनी और कृषि विभाग समय पर सर्वे कर वास्तविक नुकसान का आकलन कर सकेंगे। अगर समय सीमा के बाहर शिकायत की जाती है तो मुआवजा मिलना मुश्किल हो सकता है।

फसलों के लिए ढाल का काम करती है यह योजना
सहकारिता विभाग के अधिकारी बजरंग सिंह ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसान हितैषी योजना है। इस योजना के तहत किसानों को न्यूनतम प्रीमियम पर उनकी फसलों के लिए अधिकतम सहायता मिलती है। यह योजना किसानों के लिए ढाल का काम करती है। उन्होंने बताया कि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है। अब बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और अन्य आपदाएं आम हो गई हैं। अपनी फसलों का बीमा कराने के बाद ही इस योजना का लाभ मिल सकता है। जिन किसानों ने अपनी फसलों का बीमा कराने के बाद प्रीमियम जमा नहीं किया है, उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिलता है। सहकारिता विभाग के अधिकारी बजरंग सिंह ने बताया कि फसल नुकसान के समय यह योजना उन्हें आर्थिक संकट से उबारने में मदद करेगी और आगे की खेती के लिए भी सहारा देगी।