भोलेनाथ को अर्पित किया जाने वाला यह खास फूल त्वचा रोगों में है रामबाण, जानिए इसके आयुर्वेदिक फायदे
सावन का महीना भोलेनाथ की भक्ति का महीना माना जाता है। इस महीने में भक्त अपने महादेव को प्रसन्न करने की पूरी कोशिश करते हैं। इसके लिए कोई मीलों दूर से कांवड़ लेकर आता है और नीलकंठ का जलाभिषेक करके उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करता है, तो कोई पूजा के दौरान उनकी प्रिय चीज़ अर्पित करके उन्हें प्रसन्न करना चाहता है। महादेव की पूजा के दौरान भांग, बेलपत्र, चंदन, अक्षत, धतूरा, अर्क समेत कई चीज़ें चढ़ाई जाती हैं जो शिव को बेहद प्रिय हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपकी दमकती त्वचा का राज़ भी इन्हीं में से एक चीज़ में छिपा है। तो आइए जानते हैं वो कौन सी चीज़ है जो जटाधारी को बेहद प्रिय है और उनके भक्तों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
आक शिव का 'प्रिय वृक्ष' है
भोलेनाथ की पूजा सामग्री में इस्तेमाल होने वाला आक का पौधा सिर्फ़ धार्मिक आस्था तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक दृष्टिकोण भी छिपे हैं जो इसके कई चमत्कारी फ़ायदों के बारे में बताते हैं। आक के पौधे को हिंदी में मदार, अकौआ या अकवन भी कहते हैं। शिव का प्रिय पौधा होने के साथ-साथ, मान्यता है कि शिवलिंग पर आक के पत्ते और फूल चढ़ाने से भोलेनाथ भक्तों की सभी मनोकामनाएँ पूरी करते हैं। इसीलिए इसे शिव का 'प्रिय वृक्ष' कहा जाता है और सावन के सोमवार को इसके पत्तों से पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
चमकती त्वचा से लेकर एक्ज़िमा से राहत तक
धार्मिक महत्व के साथ-साथ आयुर्वेद में भी इसका बहुत महत्व है। अपने औषधीय गुणों के कारण, यह दाद, खुजली जैसे त्वचा रोगों और एक्ज़िमा जैसी त्वचा संबंधी समस्याओं से राहत दिलाता है। इस पौधे में पाए जाने वाले दूध का उपयोग आयुर्वेद में लेप के रूप में किया जाता है। आक के पेड़ के पत्ते त्वचा, हड्डियों और पेट से जुड़ी सभी समस्याओं से छुटकारा दिलाने में भी बेहद कारगर साबित होते हैं। इसके लिए, आक के पत्तों को हल्का गर्म करके सरसों के तेल में भिगोकर लगाने से वर्षों से चले आ रहे गठिया और जोड़ों के दर्द से राहत मिल सकती है। इतना ही नहीं, यह सांप और बिच्छू के जहर पर भी काफी कारगर साबित होता है। लेकिन इसके इस्तेमाल से पहले विशेषज्ञ की सलाह लेना ज़रूरी माना जाता है।यद्यपि आक औषधीय गुणों से भरपूर है, फिर भी इसका उपयोग बिना विशेषज्ञ की सलाह के नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह प्रकृति में जहरीला भी माना जाता है। गलत मात्रा या मात्रा में उपयोग करने पर यह हानिकारक भी हो सकता है।
