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पाकिस्तान को निस्तो-नाबूत करनेके लिए काफी है भारत की ये एकमात्र तोप, 18वीं सदी में 32KM दूर बना दिया था तालाब

पाकिस्तान को निस्तो-नाबूत करनेके लिए काफी है भारत की ये एकमात्र तोप, 18वीं सदी में 32KM दूर बना दिया था तालाब
 
पाकिस्तान को निस्तो-नाबूत करनेके लिए काफी है भारत की ये एकमात्र तोप, 18वीं सदी में 32KM दूर बना दिया था तालाब

भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है। हालात युद्ध के कगार पर हैं। पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने आतंकवाद की कमर तोड़ने के लिए ऑपरेशन सिंदूर चलाया था। सेना की बहादुरी ने हर भारतीय को गौरवान्वित किया है। ऐसे में दुश्मन देश को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना पूरी तरह तैयार है। सेना के पास कई मिसाइल और दूसरे हथियार हैं। वहीं, देश के पास एक तोप भी है, अगर इसका इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ किया गया तो उसका एक बड़ा हिस्सा पूरी तरह से नष्ट हो जाएगा।

यह तोप 18वीं सदी की है और बेहद खतरनाक है। इसकी ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसके परीक्षण के बाद से अब तक किसी युद्ध में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया है। इसके परीक्षण के दौरान तोप से निकला गोला 32 किलोमीटर दूर दीर ​​गांव में गिरा, जहां तोप का गोला गिरा, वहां तालाब जैसा गड्ढा बन गया। यह तोप राजस्थान की राजधानी जयपुर के जयगढ़ किले में रखी हुई है। इस तोप को देखने के लिए हर रोज हजारों पर्यटक आते हैं। 


1720 में बनी थी तोप
जयगढ़ किले में रखी तोप का वजन करीब 50 टन है। इसे बनाने में कई मजबूत सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें लगे पहिए दुनिया में तोपों में लगे पहियों में सबसे बड़े हैं। जयगढ़ किले में रखी इस तोप को जयवाना तोप के नाम से भी जाना जाता है। इसका निर्माण महाराजा जयसिंह द्वितीय ने 1720 में करवाया था। इसका निर्माण इसी किले में बनी फैक्ट्री में हुआ था। इसकी मारक क्षमता कई किलोमीटर है। कहा जाता है कि इस तोप से 50 किलो तक बारूद कई किलोमीटर दूर फेंका जा सकता है। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि इसका इस्तेमाल किसी युद्ध में नहीं हुआ।

35 KM दूर गिरा गोला, बन गया तालाब
जयपुर के जयगढ़ किले में रखी यह जयवाना तोप आज भी हजारों पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। 18वीं सदी में यह तोप लोगों में खौफ पैदा करती थी। टेस्टिंग के दौरान लोग इसके इस्तेमाल से डरते थे। कहा जाता है कि जब यह तोप बनकर तैयार हुई तो इसका टेस्ट फायर किया गया। इस दौरान जब इससे एक गोला दागा गया तो वह तोप से करीब 35 किलोमीटर दूर चाकसू गांव के पास गिरा। गोले के फटने से वहां गहरा गड्ढा हो गया। आज उस गड्ढे का इस्तेमाल तालाब के तौर पर किया जाता है। इस तोप की ताकत को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर इसका इस्तेमाल दुश्मन देश के खिलाफ किया गया तो वहां भारी तबाही मचेगी।