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राजस्थान में आचार संहिता के बीच 'बेरोजगारी भत्ते' को लेकर आया ये बड़ा अपडेट, जानें

 
राजस्थान में आचार संहिता के बीच 'बेरोजगारी भत्ते' को लेकर आया ये बड़ा अपडेट, जानें 

जयपुर न्यूज़ डेस्क, लोकसभा चुनाव की आचार-संहिता के चलते काम अटक गए हैं। इसकी मार बेरोजगारी भत्ते पर भी पड़ी है। बजट नहीं आने से 10 हजार से ज्यादा युवाओं का बेरोजगारी भत्ता अटक गया है। इनमें से 1 हज़ार 72 बेरोजगारों का जनवरी माह में ही जयपुर मुख्यालय से आवेदन स्वीकृत हो गए थे, लेकिन बजट नहीं मिलने पर इनके खातो में राशि नहीं पहुंच पाई है। लोकसभा चुनाव के आचार संहिता लागू होने के कारण बेरोजगारी भत्ते के आवेदन पत्र, वेरीफाई करना, विभाग का आवंटन, विभाग बदलने की प्रक्रिया एवं नई जॉइनिंग आदेश जारी करने जैसे काम रुके हुए हैं। आचार संहिता समाप्ति पर रोजगार सेवा निदेशालय के अनुसार काम किया जाएगा। सिर्फ अलवर जिले में ही फरवरी माह तक करीब 7 हजार 607 आवेदन स्वीकृत हो चुके हैं और इनके लिए बजट भी स्वीकृत हो चुका हैं। पिछले साल के सितंबर, अक्टूबर,नवंबर व दिसंबर में करीब 519 आवेदन स्वीकृत हुए हैं। इनके लिए भी विभाग ने बजट मांगा है, लेकिन अभी तक नहीं मिला है। प्रदेश में बेरोजगारी भत्ता योजना वर्ष 2007 से प्रारंभ की गई थी। वर्तमान में प्रदेश में बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने के लिए मुख्यमंत्री युवा संबल योजना लागू है। इस योजना में वर्तमान में 1 लाख 86 हजार 656 आशार्थियों को भत्ता दिया जा रहा है, जिसमें पुरुष बेरोजगारों को 4 हजार, महिला, निशक्तजन और ट्रांसजेंडर आशार्थियों को 4500 रुपए प्रतिमाह भत्ता दिया जा रहा है।

भत्ता नहीं मिलने पर इंटर्नशिप में रुझान घटा

योजना के तहत भत्ता लेने के लिए पहले इंटर्नशिप करनी होती है। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है। फरवरी माह तक जिले में 13 हजार 47 युवाओं ने आवेदन किया था। इसमें से कुल 12 हजार 680 आवेदकों ने इंटर्नशिप में उपस्थिति दर्ज करवाई। भत्ता नहीं मिलने पर युवाओं का रुझान कम हो गया है।

भत्ते के लिए भटक रहे

मैं भत्ता लेने के लिए पिछले चार महीने से पीडब्ल्यूडी में इंटर्नशिप पर काम किया था। ऑनलाइन हाजिरी भी करवा दी। अब सरकारी पुस्तकालय में काम कर रही हूं। चार घंटे काम करने के बाद भी पैसा नहीं मिल रहा है। इस पैसे से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में मदद मिलती है। मैंने इंटर्नशिप के दौरान पंचायत समिति में काम किया था, लेकिन भत्ते की राशि अभी तक नहीं मिली है। आर्थिक संकट हो गया है। छोटे-छोटे खर्च के लिए परिजनों से पैसे मांगने पड़ रहे हैं। निजी कार्यालयों में काम करने पर तुरंत भुगतान हो जाता है।