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राजस्थान में BJP और Congress विधायकों में मची खलबली, जानिए क्या है पूरा मामला?

 
राजस्थान में BJP और Congress विधायकों में मची खलबली, जानिए क्या है पूरा मामला?

जयपुर न्यूज़ डेस्क, लोकसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच आयकर विभाग ने विधायकों और विधानसभा चुनाव के प्रत्याशियों को समन जारी किए हैं। इनमें भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश का हवाला देते हुए विधानसभा चुनाव के दौरान इन नेताओं की ओर से दिए गए सम्पत्ति के ब्योरे का सत्यापन करने की मंशा जताई गई है। आयकर विभाग की ओर से नेताओं से चल-अचल सम्पत्ति के दस्तावेजी साक्ष्य मांगने के यह नोटिस शनिवार देर शाम मिलने शुरू हुए। बीकानेर जिले के तीन विधायकों को ऐसे नोटिस मिलने की पुष्टि हुई है। आयकर विभाग के इस कदम से नेताओं में खलबली मची हुई है। सूत्रों के मुताबिक ऐसे समन प्रदेश के उन सभी नेताओं और विधायकों को जारी किए जा रहे हैं, जिन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ा है। आयकर उपनिदेशक ने समन आयकर अधिनियम 1961 की धारा 131 (1ए) के तहत जारी किए गए हैं। प्रत्याशियों और उनके परिवार के सदस्यों की सम्पत्ति के साक्ष्य उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है। पिछले 6 साल का आयकर विवरण मय आय स्रोत्र एवं संपत्तियों को अर्जित करने के सबूत भी देने होंगे।

नोटिस के साथ पत्र भी भेजा

आयकर विभाग ने नोटिस के साथ नेताओं के नाम एक पत्र भी जारी किया है। इसमें चुनाव आयोग से मिले निर्देशों का उल्लेख किया है। साथ ही जांच में सौहार्दपूर्ण सहयोग की अपेक्षा भी की गई है। जांच अधिकारी के समक्ष नेता के स्वयं अथवा अपने प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित होकर साक्ष्य प्रस्तुत करने की छूट दी गई है।

एक्सपर्ट व्यू: प्रत्याशी के शपथपत्र की बढ़ेगी विश्वसनीयता

आयकर विभाग के अन्वेषण विंग की ओर से विधानसभा चुनावों के सभी उम्मीदवारों चाहे वे किसी पार्टी के या निर्दलीय हों, उनको समन जारी किए हैं। आयकर विभाग के लिए यह एक सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि ऐसे समन कर चोरी की जानकारी या शिकायत पर जारी किए जाते हैं। परन्तु इन समन में चुनाव आयोग के निर्देशों का हवाला दिया गया है। प्रत्याशी परिवार के सदस्यों की आय एवं सम्पत्ति भी बताते हैं। ऐसे में उनकी भी जांच होगी। आम जनता की अपेक्षा के अनुरूप ये सराहनीय कदम है। एक लोकसेवक के नाते इस जांच में सहयोग करना चाहिए। इससे चुनाव के समय दिए प्रपत्रों पर आमजन का विश्वास ही बढ़ेगा।

शपथ पत्रों से उठ रहे थे यह सवाल

- प्रत्याशी पांच साल या उससे पहले लोकसभा/विधानसभा चुनाव लड़ते समय शपथ पत्र में सम्पत्ति को लेकर अप्रत्याशित बदलाव करते रहते हैं।- वार्षिक या मासिक आय शून्य अथवा मामूली दर्शाते हैं और पांच साल बाद सम्पत्तियों में बड़ी वृद्धि दर्ज कर देते हैं।
- सम्पत्तियों को स्वयं अर्जित की जगह पैतृक ज्यादा बता देते हैं। अब आयकर विभाग ने पैतृक के साक्ष्य मांग लिए हैं।
- करोड़ों के मकान या लाखों रुपए के वाहन की मामूली बाजार कीमत बताते हैं। कई प्रत्याशी तो सोने और चांदी के भाव तक बाजार से चौथाई भी नहीं बताते।- शपथपत्रों में सम्पत्तियों के ब्यौरे का सत्यापन नहीं होने और फर्जी जानकारियों से आमजन में इनकी विश्वसनीयता घट रही थी।

बीच चुनाव यह उचित नहीं है। आयकर विभाग का कांग्रेस पार्टी के विधायक को भी नोटिस मिला है। यदि चुनाव के दौरान दिए शपथपत्र के ब्योरे का सत्यापन करना भी है, तो लोकसभा चुनाव के बीच ऐसा करना उचित नहीं है। यह पहले कर लिया जाता या लोकसभा चुनाव के बाद कर सकते थे। आयकर विभाग ने इस तरह समन पहले कभी जारी नहीं किए, इसलिए इसके पीछे की मंशा पर भी संदेह है।