"आंगन में अब कोई खेलने वाला नहीं बचा..." झालावाड़ हादसे में दोनों बच्चों को खोने वाली मां ने बयाँ किया अपना दर्द, देखिये वायरल VIDEO
राजस्थान के झालावाड़ जिले में शुक्रवार को एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ। पिपलोद गाँव में सरकारी स्कूल की इमारत का एक हिस्सा गिर गया, जिसमें 7 मासूम बच्चों की जान चली गई। इनमें 2 भाई-बहन भी थे, जिनका घर अब सूना पड़ा है। उनकी माँ बेसुध है। मरने वाले बच्चों के माता-पिता भी सुध-बुध खो बैठे हैं। हादसे में 28 बच्चे घायल भी हुए हैं। इस त्रासदी ने पूरे इलाके को गम में डुबो दिया है।
'मैंने सब कुछ खो दिया, मेरा घर सूना हो गया'
हादसे में अपने 2 बच्चों, एक बेटा और एक बेटी को खोने वाली माँ बेसुध है। वह कहती है, 'मैंने सब कुछ खो दिया। मेरा घर सूना हो गया। अब आँगन में खेलने वाला कोई नहीं बचा। काश भगवान मुझे ले लेते और मेरे बच्चों को छोड़ देते।' उसकी चीखें सुनकर हर किसी की आँखें नम हो गईं। शनिवार सुबह जब एसआरजी अस्पताल के बाहर मृत बच्चों के शव उनके परिजनों को सौंपे गए, तो वहाँ मातम का माहौल था। कुछ माता-पिता अपने बच्चों के शवों से लिपटकर रो रहे थे, तो कुछ सदमे में खामोश थे। 5 बच्चों का एक साथ एक ही चिता पर अंतिम संस्कार किया गया, जबकि 2 बच्चों का अलग-अलग अंतिम संस्कार किया गया।
बच्चों की उम्र 6 से 12 साल के बीच थी
झालावाड़ स्कूल हादसे में जान गंवाने वाले बच्चों की पहचान पायल (12), हरीश (8), प्रियंका (12), कुंदन (12), कार्तिक, मीना (12) और उनके छोटे भाई कान्हा (6) के रूप में हुई है। सबसे छोटा बच्चा महज 6 साल का था। हादसे के बाद लोग गुस्से में थे। अपने बच्चे को खोने वाली माँ ने स्कूल के शिक्षकों से सवाल किया। उसने कहा, 'शिक्षक बाहर क्या कर रहे थे? उन्होंने बच्चों को अकेला क्यों छोड़ दिया?' लोग सड़कों पर उतर आए और विरोध प्रदर्शन कर जवाबदेही की मांग की। प्रदर्शन के दौरान कुछ लोगों ने पुलिस पर पथराव भी किया, जिसमें एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। इस दौरान कांग्रेस नेता नरेश मीणा को भी हिरासत में लिया गया।
स्कूल की जर्जर इमारत पर उठे गंभीर सवाल
इस हादसे ने ग्रामीण स्कूलों की जर्जर इमारतों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। बताया जा रहा है कि स्कूल की इमारत पुरानी और जर्जर थी, लेकिन स्कूल स्टाफ ने इसकी शिकायत नहीं की। ज़िला कलेक्टर अजय सिंह ने कहा, 'अगर हमें इमारत की खराब हालत के बारे में पता होता, तो उसकी मरम्मत करवाई जाती और हादसा टल सकता था।' उन्होंने स्कूल स्टाफ की लापरवाही पर नाराज़गी जताई और 5 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया। साथ ही, मामले की गहन जाँच के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। कलेक्टर ने कहा, 'जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। ज़रूरत पड़ने पर प्राथमिकी दर्ज की जाएगी और निलंबन को बर्खास्तगी में बदला जाएगा।'
पीड़ित परिवारों के लिए मुआवज़े की घोषणा
स्कूल शिक्षा मंत्री ने पीड़ित परिवारों के लिए 10 लाख रुपये के मुआवज़े की घोषणा की है। कलेक्टर ने कहा कि अगले 10 दिनों में हर परिवार को ज़्यादा से ज़्यादा आर्थिक मदद दी जाएगी। साथ ही, गाँव में एक नया स्कूल भवन बनवाने का वादा भी किया गया है। कलेक्टर ने कहा, 'ज़िला प्रशासन यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसा हादसा दोबारा न हो। सभी स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि अगर इमारत की हालत ठीक नहीं है, तो बच्चों को अंदर न जाने दें।' बता दें कि शुक्रवार सुबह जब बच्चे प्रार्थना के लिए स्कूल में इकट्ठा हुए थे, तभी अचानक इमारत का एक हिस्सा ढह गया। मलबे में 35 से ज़्यादा बच्चे दब गए।
