Aapka Rajasthan

पीलूपुरा में गुर्जर महापंचायत बुलाने की है खास वजह, आखिर क्यों बीजेपी के खिलाफ उतरे विजय बैंसला?

पीलूपुरा में गुर्जर महापंचायत बुलाने की है खास वजह, आखिर क्यों बीजेपी के खिलाफ उतरे विजय बैंसला?
 
पीलूपुरा में गुर्जर महापंचायत बुलाने की है खास वजह, आखिर क्यों बीजेपी के खिलाफ उतरे विजय बैंसला?

राजस्थान में एक बार फिर से गुर्जर आंदोलन की आहट सुनाई दे रही है। इसकी तैयारी के लिए आरक्षण संघर्ष समिति ने 7 जून को सुबह 8 बजे पीलूपुरा (भरतपुर) में महापंचायत बुलाई है। महापंचायत के लिए पीलूपुरा को चुनने के पीछे रणनीतिक वजह है। क्योंकि यह इलाका गुर्जर आंदोलन के प्रमुख केंद्रों में से एक रहा है। पीलूपुरा ही नहीं, बल्कि पीपलखेड़ा-पाटोली (आगरा रोड, मेहंदीपुर बालाजी) और मलारना डूंगर (सवाई माधोपुर) और खुशाली दरा (खंडार) भी 2008, 2010, 2015 और 2019 में हुए गुर्जर आरक्षण आंदोलन के प्रमुख केंद्र रहे हैं। खास बात यह है कि महापंचायत का ऐलान सत्ताधारी पार्टी भाजपा नेता विजय बैंसला कर रहे हैं। बैंसला के ऐलान के बाद पुलिस से लेकर अन्य एजेंसियां ​​अलर्ट मोड पर हैं। प्रशासनिक स्तर पर भी बातचीत का सिलसिला जारी है। गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति ने ऐलान किया है कि सरकार को खुद आकर उनके मसौदे पर चर्चा करनी होगी।

अब इन सबके बीच सवाल यह है कि विजय बैंसला को महापंचायत में बुलाने के पीछे क्या मकसद है? इसके लिए पीलूपुरा को ही क्यों चुना गया?

दरअसल, 2008 में जब गुर्जर आरक्षण आंदोलन छिड़ा तो पीलूपुरा इसका केंद्र बन गया। कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला के नेतृत्व में पूरा समाज आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन पर बैठ गया। इस आंदोलन में झड़पें हुईं और पुलिस फायरिंग में 72 लोगों की मौत हो गई। इस दौरान गुर्जरों की यह मांग राष्ट्रीय पटल पर आई और पूरे देश का ध्यान खींचा।

पीलूपुरा- जहां अभी भी कर्नल बैंसला का प्रभाव है

अब जब समुदाय पिछली सरकारों पर वादाखिलाफी का आरोप लगाकर भाजपा सरकार से मांग कर रहा है तो समुदाय ने पीलूपुरा को चुना। वह इलाका जहां कर्नल बैंसला की छवि और प्रभाव मजबूत रहा। कर्नल बैंसला की अनुपस्थिति में उनके बेटे विजय बैंसला के नेतृत्व में महापंचायत बुलाई गई है। घर-घर और गांव-गांव पीले चावल बांटे जा रहे हैं और स्थानीय भाषा में अपील के वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं।

विजय बैंसला: चुनाव हारने के बाद पार्टी ने दो बार काटा उनका टिकट

कर्नल बैंसला के 4 बच्चों में 3 बेटे और एक बेटी है। बड़ी बेटी सुनीता बैंसला आयकर विभाग में अधिकारी हैं, जबकि बेटा दौलत सिंह सेना में ब्रिगेडियर और दूसरा बेटा जय सिंह असम राइफल्स में डीआईजी है। विजय बैंसला सबसे छोटे बेटे हैं। पिता के साथ आंदोलन में सक्रिय रहने के बाद वे भाजपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। विजय बैंसला ने 2023 में भाजपा के टिकट पर राजस्थान विधानसभा चुनाव लड़ा था। वे टोंक जिले की देवली-उनियारा विधानसभा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन चुनाव हार गए थे। हालांकि उन्होंने पिछले साल लोकसभा चुनाव और उपचुनाव में भी टिकट मांगा था, लेकिन उन्हें निराश होना पड़ा था।

विजय बैंसला अब गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष हैं। उन्होंने मौजूदा भाजपा सरकार पर पिछली सरकारों के समझौतों को लागू न करने का आरोप लगाया है। उन्होंने केंद्र से जुड़ी मांगों पर राज्य सरकार की निष्क्रियता और केस वापस न लेने पर नाराजगी जताई है। जानिए क्या है मांग रोस्टर सिस्टम में बदलाव किया जाए ताकि इसका लाभ राजस्थान स्तर पर मिल सके। एमबीसी के 5% आरक्षण को 9वीं अनुसूची में शामिल किया जाए। इस बात पर भी नाराजगी है कि आरक्षण आंदोलन के एक भी केस को वापस लेने की बजाय जमीन जब्त करने के आदेश दिए गए हैं। देवनारायण योजना के तहत स्कूटी या छात्रवृत्ति नहीं दी जा रही है। जोधपुर हाईकोर्ट में सरकार की ओर से दाखिल हलफनामे के मुताबिक एमबीसी आरक्षण पहले जनरल, फिर ओबीसी और फिर एमबीसी वर्ग को दिया जाए। इसके साथ ही 6 साल की बच्ची को नौकरी मिल गई। आरजेएस में बैकलॉग, अनुकंपा नियुक्ति और आरक्षण आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा दिया जाए।