राजस्थान के स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल होगी वीर साहिबजादों की गाथा, फुटेज में जानें वीर बाल दिवस पर मुख्यमंत्री का बड़ा ऐलान
सिख समाज के दसवें और अंतिम धर्मगुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी के दो छोटे साहिबजादों—साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह—की वीरता और बलिदान की गौरव गाथा अब राजस्थान के बच्चों को पढ़ाई जाएगी। वीर बाल दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने यह महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादों की शहादत को राज्य की प्राथमिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसका उद्देश्य नई पीढ़ी को राष्ट्रप्रेम, साहस, धर्मनिष्ठा और मानवीय मूल्यों से प्रेरित करना है।
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी के चारों साहिबजादों का बलिदान भारतीय इतिहास की अमर धरोहर है। उनका जीवन और त्याग न केवल सिख समाज, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने कहा कि साहिबजादों की शहादत हमें यह सिखाती है कि सत्य, धर्म और न्याय की रक्षा के लिए किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए।
वीर बाल दिवस पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने विशेष रूप से साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह की शहादत को याद किया। उन्होंने कहा कि बहुत कम उम्र में ही इन दोनों वीर बालकों ने अत्याचार और अन्याय के सामने झुकने से इनकार कर दिया। मुगल शासकों द्वारा इस्लाम स्वीकार करने का दबाव बनाए जाने के बावजूद, उन्होंने अपने धर्म और मूल्यों की रक्षा के लिए प्राणों का बलिदान देना स्वीकार किया, लेकिन अपने सिद्धांतों से पीछे नहीं हटे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि साहिबजादों का यह अद्भुत साहस और आत्मबल आज की पीढ़ी के लिए अत्यंत प्रासंगिक है। ऐसे समय में जब नैतिक मूल्यों और राष्ट्रभक्ति को मजबूत करने की आवश्यकता है, तब इन महान बलिदानों को शिक्षा के माध्यम से बच्चों तक पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने बताया कि पाठ्यक्रम में शामिल की जाने वाली सामग्री बच्चों की उम्र और समझ के अनुरूप होगी, ताकि वे इतिहास से जुड़कर प्रेरणा ले सकें।
राज्य सरकार का मानना है कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं होनी चाहिए, बल्कि उसमें ऐसे प्रसंग भी शामिल होने चाहिए जो चरित्र निर्माण और नैतिक विकास में सहायक हों। मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी और उनके साहिबजादों का जीवन त्याग, साहस, समानता और मानवता का संदेश देता है, जिसे बच्चों के मन में शुरू से ही रोपित किया जाना चाहिए।
इस घोषणा का सिख समाज और शिक्षा जगत ने स्वागत किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि इससे बच्चों को देश के गौरवशाली इतिहास से जुड़ने का अवसर मिलेगा और उनमें धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के प्रति सम्मान की भावना विकसित होगी। वीर बाल दिवस के अवसर पर लिया गया यह निर्णय राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक कदम माना जा रहा है।
