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अजमेर शरीफ दरगाह का रहस्यमयी कुआं... जहां रात में सुनाई देती हैं अजीब आवाज़ें कोई नहीं जाता पास, वीडियो में जानिए इसका रहस्य

अजमेर शरीफ दरगाह का रहस्यमयी कुआं... जहां रात में सुनाई देती हैं अजीब आवाज़ें कोई नहीं जाता पास, वीडियो में जानिए इसका रहस्य
 
अजमेर शरीफ दरगाह का रहस्यमयी कुआं... जहां रात में सुनाई देती हैं अजीब आवाज़ें कोई नहीं जाता पास, वीडियो में जानिए इसका रहस्य

राजस्थान के अजमेर में स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर दुनियाभर से श्रद्धालु श्रद्धा और आस्था के साथ आते हैं। यह स्थान न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि कई चमत्कारों और रहस्यों से भी जुड़ा हुआ है। इन्हीं रहस्यों में से एक है दरगाह के अंदर स्थित पुराना कुआं, जो जितना ऐतिहासिक है, उतना ही रहस्यमय और डरावना भी है। कहा जाता है कि रात में इस कुएं से अजीबोगरीब आवाजें आती हैं। कभी कोई रोता है, तो कभी कोई फुसफुसाता है... और यही वजह है कि रात में कोई भी इस कुएं के पास रहना पसंद नहीं करता।


इतिहास में दर्ज नहीं, लेकिन लोककथाओं में जिंदा है इसका खौफ
अजमेर शरीफ दरगाह में स्थित इस कुएं के बारे में कई किस्से और कहानियां सदियों से चली आ रही हैं। हालांकि इसके बारे में आधिकारिक तौर पर ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन स्थानीय लोगों और पुराने खादिमों (सेवकों) का कहना है कि यह कुआं बहुत पुराना है और माना जाता है कि इसमें रूहानी शक्तियां निवास करती हैं। कुछ कहानियों के अनुसार प्राचीन काल में एक साधक ने इस कुएं में साधना की थी, लेकिन उसकी आत्मा कभी कुएं से बाहर नहीं आई। तभी से यहां रात में अजीबोगरीब घटनाएं होने लगीं।

रात में इसके पास कोई क्यों नहीं जाता?
जब दरगाह के सेवादारों से इस कुएं के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि दिन में यह कुआं सामान्य दिखता है, लेकिन अंधेरा गहराते ही इसका वातावरण बदल जाता है। कुछ लोगों का कहना है कि अगर आप कुएं के पास खड़े होकर ध्यान दें तो किसी के चलने, रोने या अचानक हवा के झोंके की आवाज सुनाई देती है, जबकि आसपास कोई नहीं होता।

स्थानीय दुकानदार रईस अहमद कहते हैं,
"मैं बचपन से इस दरगाह को देख रहा हूं, लेकिन अब तक कोई भी रात में इस कुएं के पास रुकने की हिम्मत नहीं करता। ऐसा लगता है जैसे यहां कोई है...कोई ऐसा जो दिखाई नहीं देता लेकिन मौजूद है।"

क्या कहता है वैज्ञानिक दृष्टिकोण?
कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि यह कुआं अपने अंदर ध्वनि के प्रतिध्वनि प्रभाव और इसकी विशेष संरचना के कारण ऐसी आवाजें निकाल रहा होगा।पुराने पत्थरों से बने कुओं में हवा की आवाज प्रतिध्वनि कर सकती है और भ्रम पैदा कर सकती है, जिससे ऐसा लग सकता है कि कोई बोल रहा है या चल रहा है। हालांकि, जब लोगों से पूछा जाता है कि क्या यह सिर्फ भ्रम है, तो ज्यादातर लोग जवाब देते हैं - "अगर यह भ्रम होता तो दिन में भी होता, है न? रात में ही क्यों?"

आस्था और भय का अनूठा संगम
अजमेर शरीफ दरगाह पर आने वाले श्रद्धालुओं में इस कुएं को लेकर मिली-जुली भावनाएं हैं। कुछ लोग इसे पूजनीय मानते हैं और दूर से ही सिर झुका लेते हैं, जबकि कुछ इसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर देते हैं। यह कुआं आस्था और भय का मिश्रण बन गया है। दिन में दर्शन और प्रार्थना का स्थान, और रात में मौन।

कई श्रद्धालुओं ने इस अनुभव की पुष्टि की
कुछ श्रद्धालुओं ने बताया कि वे खुद वहां खड़े होकर सांसों की आवाज, पीछे किसी के चलने का अहसास महसूस कर चुके हैं। जयपुर के श्रद्धालु मोहम्मद सुलेमान कहते हैं, "मैंने रात में गलती से उस कुएं के पास मोबाइल से रोशनी डालने की कोशिश की थी, लेकिन अचानक ऐसा लगा जैसे किसी ने मुझे पीछे से हल्का धक्का दिया हो। जब मैंने देखा तो वहां कोई नहीं था।"

सच क्या है?
इस रहस्यमयी कुएं के पीछे का सच आज भी पूरी तरह से सामने नहीं आ पाया है। हो सकता है कि यह महज एक प्राकृतिक ध्वनि और मन का भ्रम हो या फिर इसमें वाकई कोई अलौकिक शक्ति हो। लेकिन एक बात तो साफ है कि अजमेर शरीफ दरगाह का यह स्थान आज भी रहस्य और चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

निष्कर्ष
भारत जैसे देश में जहां आस्था और रहस्य एक दूसरे से जुड़े हुए हैं, ऐसे स्थानों का महत्व और भी बढ़ जाता है। अजमेर शरीफ दरगाह का यह कुआं आज भी हजारों श्रद्धालुओं की नजरों में एक ऐसी जगह है जहां कुछ अनदेखा, अनसुना जरूर मौजूद है। विज्ञान चाहे जो कहे, लेकिन भावनाओं में डूबे लोग आज भी इसे 'कुछ अलग' ही मानते हैं।