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राजस्थान का रहस्यमयी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर! जहाँ जंजीरों में बांधे जाते है भूत, वीडियो में कैद हुआ खौफनाक चमत्कार वरना कौन करता यकीन

राजस्थान का रहस्यमयी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर! जहाँ जंजीरों में बांधे जाते है भूत, वीडियो में कैद हुआ खौफनाक चमत्कार वरना कौन करता यकीन
 
राजस्थान का रहस्यमयी मेहंदीपुर बालाजी मंदिर! जहाँ जंजीरों में बांधे जाते है भूत, वीडियो में कैद हुआ खौफनाक चमत्कार वरना कौन करता यकीन

राजस्थान के दौसा जिले में स्थित मेहंदीपुर बालाजी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि रहस्यों और चमत्कारों का ऐसा केंद्र है, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु सिर्फ भगवान हनुमान की पूजा के लिए नहीं, बल्कि अपने जीवन से बुरी शक्तियों और प्रेतबाधाओं को दूर करने के लिए आते हैं। यह मंदिर विशेष रूप से अपनी अनोखी "प्रेतों की कचहरी" और तांत्रिक विधियों के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है।

क्या है 'प्रेतों की कचहरी'?

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में ऐसा माना जाता है कि जो लोग किसी भूत-प्रेत, तांत्रिक बाधा, ऊपरी छाया या मानसिक पीड़ा से ग्रस्त होते हैं, उनके लिए यहां हनुमान जी की दरबार में एक "कचहरी" लगती है। यह कोई साधारण न्यायालय नहीं, बल्कि एक ऐसी दिव्य अदालत मानी जाती है, जहां हनुमान जी स्वयं न्याय करते हैं। इस प्रक्रिया के दौरान पीड़ित व्यक्ति की आत्मा में बसे बुरी शक्तियों या प्रेतात्माओं से सवाल-जवाब किए जाते हैं, और उन्हें आदेश दिया जाता है कि वे उस शरीर को छोड़ दें।

जंजीरों में बंधे 'भूत'

यहां आने वाले भक्तों में कई ऐसे लोग होते हैं जिन्हें मानसिक रूप से अस्वस्थ माना जाता है, लेकिन स्थानीय विश्वासों और परंपराओं के अनुसार वे किसी अदृश्य शक्ति के प्रभाव में होते हैं। मंदिर के बाहर और अंदर कई जगहों पर ऐसे 'पीड़ितों' को लोहे की जंजीरों से बांधा जाता है ताकि वो किसी को नुकसान न पहुंचा सकें।
यह दृश्य एक आम पर्यटक के लिए भले ही डरावना लगे, लेकिन श्रद्धालु इसे भूत-प्रेत से मुक्ति की अंतिम प्रक्रिया मानते हैं।

खास पूजा और हनुमान जी की शक्ति

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर में मुख्य रूप से श्री बालाजी (हनुमान जी), प्रेतराज सरकार और भैरो बाबा की पूजा होती है। इन तीनों देवताओं को 'तांत्रिक शक्ति' का रक्षक माना जाता है। ऐसा विश्वास है कि यहां की पूजा और अनुष्ठान किसी भी व्यक्ति के ऊपर से काले जादू, नजर दोष, भूत-प्रेत बाधा, टोने-टोटके जैसी नकारात्मक शक्तियों को समाप्त कर देती हैं।यहां की आरती, खासतौर पर मंगलवार और शनिवार को, बेहद शक्तिशाली मानी जाती है। सैकड़ों लोग एक साथ बैठकर 'बालाजी महाराज की आरती' करते हैं और फिर प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसी प्रक्रिया के दौरान पीड़ितों पर प्रतिक्रिया देखी जाती है — कुछ चिल्लाते हैं, कुछ थरथराते हैं, कुछ बेहोश हो जाते हैं — जिसे ‘प्रेत बाधा की प्रतिक्रिया’ माना जाता है।

वैज्ञानिक और आध्यात्मिक नजरिया

हालांकि कई लोग इसे अंधविश्वास मानते हैं और मानसिक रोगों का इलाज चिकित्सा पद्धति से करने की सलाह देते हैं, लेकिन स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के लिए यह मंदिर भक्ति, विश्वास और चमत्कार का एक साक्षात प्रतीक है।मनोचिकित्सकों का एक वर्ग यह भी मानता है कि धार्मिक आस्था और समूहिक वातावरण, खासकर मंदिर की सकारात्मक ऊर्जा, मानसिक रूप से पीड़ित व्यक्ति पर मनोवैज्ञानिक असर डालती है, जो उन्हें कुछ हद तक राहत देती है।